नगर निगम चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही है और भाजपा-कांग्रेस प्रत्याशियों का चुनाव प्रचार भी तेज होने लगा है। भाजपा में पूर्व महापौरों ने मैदान संभाला हैं तो कांग्रेस में प्रत्याशी और उनके समर्थक मैदान में डटे हैं। पार्टी के अन्य नेता भी प्रचार कर रहे हैं। इसी बीच कांग्रेस प्रत्याशी की बेबाकी चर्चाओं में है और रोज वे कुछ न कुछ ऐसा कहते हैं जो सुर्खियों में आता है।
चुनाव प्रचार के बीच कांग्रेस के महापौर प्रत्याशी संजय शुक्ला ने अपना घोषणा पत्र भी मीडिया के सामने जारी किया। घोषणा पत्र में शहर के विकास और नगर निगम से संबंधित कई घोषणाएं की है। इसी बीच संजय शुक्ला ने यह भी घोषणा कर दी की अगर वह जीते तो अपनी ओर से शहर में पांच ओवर ब्रिज बनाएंगे। जिसमें न ही नगर निगम न ही राज्य सरकार से कोई राशि ली जाएगी। इस मौके पर मौजूद पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा, पूर्व मंत्री विजयलक्ष्मी साधो भी इस घोषणा को सुनकर चौंक गए। बताया जाता है कि संजय शुक्ला ने यह भी घोषणा की है कि अगर वह जीतते हैं तो कोरोना से पीड़ित लोगों को 20 हजार रुपये की एकमुश्त सहायता राशि दी जाएगी।
कांग्रेस के घोषणा पत्र को वचन और दृष्टि पत्र नाम दिया गया। व्यापारिक संगठनों और आम जनता को कई मामलों में सहूलियत देने के वचन लिखे गए हैं। स्मार्ट सिटी में मकान के पुनर्निर्माण की अनुमति में राहत देने, नक्शा मंजूरी आसान करने, कॉलोनियों को मेंटनेंस शुल्क से मुक्ति, संपत्ति कर में छूट देने, व्यापारियों को फ्री ट्रेड लाइसेंस सहित दिल्ली मॉडल लागू करने का वचन दिया गया है। इस वचन और दृष्टि पत्र में कॉलोनियों को वैध करना, हर वार्ड में स्वास्थ्य केंद्र सहित पीली गैंग के आतंक से मुक्ति सहित कई घोषणाएं की गई है। शुक्ला ने भाजपा के महापौर प्रत्याशी पुष्यमित्र भार्गव को लेकर कहा कि उनकी सेवा एक दिन की है जबकि मेरी सेवा 28 सालों की है। केंद्र में राज्य में भाजपा सरकार होने के बाद भी इंदौर के लिए उन्होंने क्या किया। साथ ही उन्होंने कोरोना काल में जनता के प्रति भाजपा नेताओं की अनदेखी की बात भी कहीं। भाजपा 20 साल से लगातार घोषणा करती आ रही है। महापौर बनने पर मैं दिल्ली सरकार की योजना का अध्ययन करवाउंगा इसके बाद इस योजना को इंदौर में लागू करवाया जाएगा ताकि इंदौर के सरकारी स्कूलों में निजी स्कूल से ज्यादा अच्छी और बेहतर शिक्षा व्यवस्था लागू हो सके। दिल्ली की तर्ज पर सरकारी अस्पताल इतने बेहतर हो जाए कि अस्पताल में जाकर हर व्यक्ति को अपना इलाज कराने में कोई दिक्कत न हो।