एक थी कांग्रेस !

कॉमेडी सर्कस के प्रमुख किरदार को पंजाब कांग्रेस की बागडोर सौंपने का मूर्खतापूर्ण निर्णय लेने वाली कथित हाईकमान सोनिया-प्रियंका-राहुल को जो भोगना पड़ रहा है, उसकी परिणिति तो ऐसी ही होनी थी। सारा देश नवजोत सिंह सिद्धू की नई नौटंकी को देख रहा है।

इस छीछालेदर के लिए और कोई नहीं सिर्फ और सिर्फ सोनिया परिवार ही जिम्मेदार है जो आज के प्रगतिशील दौर में मध्ययुगीन बादशाहत की सनको के जरिये लोकतांत्रिक व्वयस्था को ठोकपीठ कर अपने अनुकूल करना चाहता है।

क्या सोनिया परिवार ने महसूस किया कि अमरिंदर सिंह जैसे वरिष्ठ नेता को बेइज्जत करने का पड़यंत्र रच कर उन्होंने ने सिर्फ पंजाब में, बल्कि पंजाब के बाहर देश भर के वरिष्ठ व निष्ठावान कोंग्रेसजनों को भयभीत एवं संशकित होने का सन्देश नहीं दिया? सोनिया व उनकी बेटी-बेटा यह क्यों नहीं देखते-समझते कि कैप्टन के धुर विरोधी भी उनको बेइज्जत किये जाने से खुश नहीं है।
गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल जैसे तमाम वरिष्ठ नेताओं को चपड़कनातियों की सलाह पर एक तरफ डाला गया, उससे सिद्ध हो चुका है कि बुजुर्ग निष्ठावान कांग्रेसजन कथित हाईकमान को पसंद नहीं। कांग्रेस का वंशवादी नेतृत्व वफादार, अनुभवी कांग्रेसजनों का निरादर करने और अपमानित कर पार्टी छोड़ने पर मजबूर करने की कुनीति अपनाये हुए है।

सिद्धू को गले लगाने के बाद अब कन्हैया कुमार व जिग्नेश मेवानी को इन्होंने सिर पर बैठा लिया जिनके पास फ़क्त लफ़्फ़ाजी व जुमलेबाजी के अलावा कुछ नहीं। सोनिया परिवार कांग्रेस के स्थिापित मूल्यों, आदर्शों व शालीनता की पूंजी को दरकिनार कर चाटुकारों के जरिये देश की सबसे पुरानी पार्टी पर आधिपत्य बनाये रखना चाहता है। कांग्रेस को डूबता जहाज बताने वाला कन्हैया क्या कांग्रेस का उसी प्रकार खेवनहार बनेगा जैसा सिद्धू बनना चाह रहा है ? आखिर सोनिया परिवार कांग्रेस को कहां ले जाना चाहता है ?

गोविंद वर्मा
संपादक देहात

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