देश के 15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों के चुनाव की उल्टी गिनती शुरू

देश के 15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों के चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। भाजपा, कांग्रेस से लेकर क्षेत्रीय दलों की कोशिश है कि जिस सीट के लिए संख्या कम है, वहां कोई भी दांव पेंच लगाकर सीट को हासिल कर लिया जाए। राजनीतिक दलों के पास इन सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की भी लंबी सूची तैयार है। प्रत्याशियों के चयन में जितनी ज्यादा माथापच्ची भाजपा में देखने को मिल रही है, उससे ज्यादा परेशानी कांग्रेस के खेमे में नजर आ रही है। मध्य प्रदेश,राजस्थान और छत्तीसगढ़ की राज्यसभा सीटों के चुनावों में सीधी टक्कर भाजपा और कांग्रेस के बीच में ही है। छत्तीसगढ़ में तो कांग्रेस की राह आसान नजर आ रही है, लेकिन राजस्थान में एक सीट पर जीत हासिल करने के लिए दोनों ही पार्टियों में कड़ा मुकाबला नजर आ रहा है।

हालांकि, भाजपा सूत्रों का को कहना है कि इस बार पार्टी के कई बड़े नेताओं का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। उनमें राज्यसभा में नेता सदन और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, केंद्रीय मंत्री और राज्य सभा में पार्टी के उपनेता मुख्तार अब्बास नकवी, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शामिल हैं। पार्टी तीनों केंद्रीय मंत्रियों को फिर से राज्यसभा में लाएगी, जिनका कार्यालय खत्म हो रहा है। हालांकि, इस बात की प्रबल संभावना है कि तीनों मंत्रियों को पिछली बार वाले राज्यों की जगह अलग राज्यों से राज्यसभा में भेजा जाएगा। 

कई प्रदेश संगठनों ने केंद्रीय नेतृत्व से अपील की है कि उनके राज्यों से स्थानीय नेता को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया जाए। पार्टी सूत्रों की मानें तो विभिन्न समीकरण को ध्यान में रखते हुए ही पार्टी उम्मीदवारों के नाम पर मुहर लगाएगी। पार्टी जिनको राज्यसभा का उम्मीदवार बनाएगी, उन्हें शनिवार शाम या रविवार सुबह तक सूचना चली जाएगी।

मध्यप्रदेश: एक नाम केंद्रीय नेतृत्व से तो एक प्रदेश से

मध्यप्रदेश में 29 जून को खाली हो रही राज्यसभा की तीन सीटों पर नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया शुरु हो गई है। अगर विधानसभा के मौजूदा समीकरण को देखें तो सत्तारूढ़ भाजपा के खाते में दो सीटें और कांग्रेस के खाते में एक सीट आने की संभावना है। राज्यसभा की इन तीन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस का उम्मीदवार कौन होगा यह अभी पूरी तरह साफ नहीं है, लेकिन उम्मीदवारों की दौड़ में कई नाम शामिल हैं। 

बीजेपी की ओर से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को मप्र से राज्यसभा में भेजा जा सकता है। एक सीट पर ओबीसी चेहरे को राज्यसभा का टिकट देकर 51 प्रतिशत आबादी को साधने की तैयारी है। अगर नामों को देखा जाए तो भाजपा की तरफ से राज्यसभा की दावेदारी में सबसे आगे नाम हिंदुत्व के फायर ब्रांड नेता जयभान सिंह पवैया का है। ऐसे में पार्टी जयभान सिंह पवैया को राज्यसभा भेजकर 2023 विधानसभा और 2024 लोकसभा चुनाव के लिए हिंदुत्व के एजेंडे को प्रमुखता से आगे लाने की तैयारी कर सकती है। पवैया राममंदिर आंदोलन से जुड़े रहे हैं और ग्वालियर-चंबल की सियासत में भाजपा का एक बड़ा नाम हैं। जयभान सिंह पवैया का पार्टी ने फिलहाल महाराष्ट्र की जिम्मेदारी सौंप रखी है। इसके अलावा पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य, प्रदेश महामंत्री कविता पाटीदार का नाम भी दावेदारों की होड़ में है।

वहीं, बात अगर कांग्रेस करें तो यहां भी राज्यसभा की सीट को लेकर मंथन का दौर शुरू हो गया है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेता राज्यसभा जाने के लिए अपने-अपने स्तर पर समीकरण बैठाने में जुटे हैं। कांग्रेस से जुड़े सूत्रों की मानें तो पार्टी एक बार फिर विवेक तन्खा को राज्यसभा भेज सकती है, क्योंकि वह प्रदेश का ब्राह्मण फेस होने के साथ ही कश्मीरी पंडित भी हैं और कानून के बड़े जानकार हैं। फिलहाल तन्खा सदन में एकमात्र कश्मीरी पंडित है। इसके अलावा निमाड़ के बड़े नेता और ओबीसी चेहरा अरुण यादव का नाम भी चर्चाओं में है, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह भी दावेदारों की सूची में शुमार है।  


छत्तीसगढ़: हाईकमान से प्रियंका गांधी को टिकट देने की मांग
छत्तीसगढ़ की दो राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होना है। राज्य की सत्ताधारी कांग्रेस का दोनों सीटों पर कब्जा तय है। दरअसल, भाजपा इस चुनाव की दौड़ से पहले ही बाहर है। विधानसभा में भाजपा के पास मात्र 14 सदस्य हैं और एक सीट जीतने के लिए 31 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। ऐसे में भाजपा नामांकन भरने की स्थिति में भी नहीं है। इस वजह से दोनों सीटें कांग्रेस के खाते में जाएंगी। कांग्रेस सूत्रों ने अमर उजाला को बताया कि उम्मीदवारों के नाम तय करने के लिए दिल्ली में शनिवार शाम बैठक होगी।

कांग्रेस पार्टी की तरफ से राज्यसभा भेजने के लिए प्रत्याशियों के नाम की घोषणा नहीं हुई है लेकिन राज्यसभा जाने के लिए कांग्रेसी नेताओं की लाइन लग गई है। इसमें सबसे बड़ा नाम विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत का है। उन्होंने राज्यसभा जाने की इच्छा जताई है।  इसके अलावा पूर्व सांसद और पीपीसी उपाध्यक्ष पीआर खूंटे ने दावेदारी पेश किया है। पीआर खूंटे ने इसके लिए कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को पत्र लिखा है। उन्होंने जातिगत आधार पर राज्यसभा भेजे जाने का आग्रह किया है। खूंटे अनुसूचित जाति वर्ग से आते है। पिछले 22 साल से कांग्रेस पार्टी से जुड़े हैं। राज्य में कुल जनसंख्या में से करीब 14 प्रतिशत एससी की है। 

इसे आधार बनाते हुए उन्होंने अपने पत्र में जिक्र किया है कि कांग्रेस पार्टी से राज्य से जनजाति, पिछड़ा वर्ग, सामान्य वर्ग, महिला वर्ग से राज्यसभा में जा चुके है, अबकी बार राज्यसभा में जाने का हक अनुसूचित जाति का बनता है।  दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ सरकार के मुखिया और प्रदेश संगठन ने प्रियंका गांधी को प्रदेश से राज्यसभा भेजने के लिए हाईकमान और वरिष्ठ नेताओं के सामने मंशा जाहिर की है, लेकिन अंतिम निर्णय हाईकमान को लेना है। इसके अलावा प्रदेश से वरिष्ठ कांग्रेस नेता मुकुल वासनिक का नाम भी दावेदारों में सबसे आगे है।

कांग्रेस सरकार के प्रवक्ता मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि कांग्रेस प्रत्याशी तय करने के संबंध में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हाईकमान से चर्चा करेंगे। इसके बाद हाईकमान प्रत्याशी तय करेगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के दोनों प्रत्याशी की जीत तय है। भाजपा चुनाव लड़ने की स्थिति में नहीं है। बता दें कि भाजपा से राज्यसभा भेजे सांसद रामविचार नेताम और कांग्रेस से राज्यसभा गई छाया वर्मा का कार्यकाल 29 जून को पूरा हो जाएगा।
 
राजस्थान में आसान नहीं कांग्रेस की राह,जोड़ तोड़ में जुटी पार्टी
राजस्थान की चार राज्यसभा सीटों के चुनाव को लेकर रस्साकशी तेज हो गई है। संख्या बल के लिहाज से राजस्थान की चार राज्यसभा सीटों में से दो सीटें कांग्रेस और एक सीट भाजपा के पास जाना तय है। चौथी सीट के लिए कांग्रेस को मशक्कत करनी पड़ेगी। बीजेपी अगर दो प्रत्याशी मैदान में उतारती है, तो प्रत्याशी को जीतने के लिए कम से कम 41 वोट चाहिए होंगे। कांग्रेस को कुल 123 वोटों की जरूरत पड़ेगी, जबकि कांग्रेस के विधायक 108 ही हैं। शेष 13 निर्दलीय, 2 बीटीपी, 2 माकपा और 1 लोकदल के विधायक हैं। लोकदल के एकमात्र विधायक तो सरकार में है लेकिन निर्दलीयों, बीटीपी और माकपा के विधायकों को साधना जरूरी है। 

पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस के 10 विधायकों के साथ बीटीपी के दोनों विधायक और कुछ निर्दलीय विधायक भी सरकार से नाराज चल रहे हैं। ऐसे में राज्यसभा सीट जीतने के लिए नाराज विधायकों को मनाना जरूरी हो गया है। भाजपा के 71 विधायक हैं। प्रत्येक को 41-41 वोट के लिहाज से कुल 82 वोटों की जरूरत पड़ेगी। बीजेपी को अपने दूसरे प्रत्याशी को जीताने के लिए 11 वोटों की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में जोड़ तोड़ की कोशिश की जाने की संभावना है।

कांग्रेस के संभावित नामों में राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी और पूर्व केन्द्रीय मंत्री रहे गुलाम नबी आजाद का नाम भी चर्चा में है। इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अजय माकन, भंवर जितेन्द्र सिंह, हरीश चौधरी, डॉ. रघु शर्मा और धर्मेन्द्र राठौड़ का नाम संभावित प्रत्याशियों की सूची में शामिल है। इधर,भाजपा से वरिष्ठ नेता ओम माथुर फिर से दावेदारी जता रहे हैं। संभव है पार्टी उन्हें रिपीट कर दे। साथ ही संघ से जुड़े भाजपा के पुराने नेता और वसुंधरा राजे से अनबन के कारण कुछ सालों तक हाशिये पर रहे पूर्व मंत्री घनश्याम तिवाड़ी को भी राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया जा सकता है। इन दो नामों के अतिरिक्त पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी, भजनलाल शर्मा और महेंद्र सिंह जाटव का नाम भी चर्चा में है।

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