पंजाब, हरियाणा, गुजरात सरकारों को कोर्ट की फटकार !

हरियाणा के 25 ग्राम घग्गर नदी की बाढ़ से हुई तबाही पर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एम.आर.शाह तथा जस्टिस एम.एम. सुंदरेश ने हरियाणा और पंजाब सरकारों को जम कर लताड़ लगाई। दोनों न्यायमूर्तियों ने कहा- राज्य सरकारों को बाढ़ पर राजनीति नहीं करनी चाहिए वरन जनहित को देखना चाहिए। कोर्ट के आदेश के बाद घग्गर कमेटी की बैठकें बुलाई गई। आम लोगों को बैठकों मे कोई दिलचस्पी नहीं है, उन्हें सिर्फ समाधान से मतलब है। इस मुद्दे पर राजनीति, जनहित सर्वोपरि है।

बाढ़ जैसे गम्भीर संकट पर सरकारें व नौकरशाह सिर्फ बैठकों से समाधान नहीं निकाल सकते। समस्या समाधान के लिए तात्कालिक ठोस कार्यवाही होनी चाहिए जिसमें अक्सर नौकरशाही विफल रहती है तो कोर्ट को चेताना पड़ता है। भारत में ऐसी परम्परा नौकरशाही और सिस्टम के लचर रवैये को दर्शाती है।

मंगलवार को गुजरात हाईकोर्ट ने सरकारी सिस्टम की टालमटोल और लापरवाही पर गुजरात सरकार को कड़ी फटकार लगाई। मोरबी पुल दुर्घना पर आई याचिका पर कोर्ट ने कहा- ‘150 वर्ष पुराने पुल की मरम्मत के निर्णय में झोल है। सरकार की लापरवाही का खामियाजा 135 लोगों ने अपनी जान दे कर भुगता है।’

अदालतों तक मामलों का पहुंचना ही प्रशासनिक व्यवस्था की नाकामी का द्योतक है किन्तु अदालतों की चेतावनियों को भी शासन तथा प्रशासन अनसुना करता है। यह जनहित की सरासर अवहेलना है।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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