भारत की बेटियां !


लंदन जा कर भारत में लोकतंत्र खत्म होने, भारत में न्याय पालिका, प्रेस, चुनाव आयोग को बंधक बनाने, मुस्लिमों, सिक्खों व ईसाइयों को दोयम दने का नागरिक बनाने जैसे महाझूठ पर तीन दिनों से संसद में हो रहे हंगामे पर जिन्ना की नई औलाद तौकीर रज़ा की बोक्लाहट अथवा इमरान खान द्वारा पाकिस्तान को गृह युद्ध में झोंकने की तैयारियों पर आज हमे कोई टिप्पणी नहीं करनी। आज हम भारत की दो बेटियों की चर्चा करेंगे जिनमें एक बेटी गुमनाम है और दूसरी बेटी का नाम एशिया में रोशन हुआ है।

समाचार है कि चरथावल क्षेत्र के कुल्हेड़ी ग्राम में शामली जिले के भैंसानी – ग्राम से एक बारात ४ मार्च को आई। निकाह से पहले दूल्हे ने दहेज में नया ट्रैक्टर मांगा और बारात में आये 85 लोगों को 500-500 रूपये की मिलाई देने को कहा। लड़की का पिता अपनी आबरू बचाने को साढ़े सात लाख रुपये में नया ट्रैक्टर खरीद लाया। लड़की को पता लगा तो उस ने लालची लड़के से निकाह कराने से साफ इंकार कर दिया।

बारातियों को बिना दुल्हन बैरंग लौटना पड़ा लेकिन कन्या पक्ष ने दूल्हे, उसके पिता व भाई सहित 5 लोगों को रोक लिया और सगाई तथा शादी में खर्च हुए धन की वापसी की मांग की। वर पक्ष को बंधक बनाये जाने की सूचना पर थाना प्रभारी राकेश शर्मा मौके पर पहुंच गए। दूल्हे के पिता ने 10 लाख रुपये का चैक लड़की के पिता को देकर पीछा छुड़ाया।

एक बहादुर लड़की के साहस के कारण दहेज के लोभियों को अपना मुंह काला कराना पड़ा। यह घटना बताती है कि मुस्लिम समाज की बेटियां जागरूक और सतर्क हो रही हैं। यह गुमनाम बेटी प्रशंशा की पात्र है। महाराष्ट्र के सतारा की बेटी सुरेखा यादव ने एक बार फिर दिखा दिया कि भारत की नारी हर क्षेत्र में पुरुषों के मुकाबले में कम नहीं है। सुरेखा 1988 में भारत की पहली लोको पायलट (रेल इंजन चालक) बनी थी। मंगलवार को सुरेखा यादव सोल्हापुर रेलवे स्टेशन से मुम्बई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस तक सेमी हाई स्पीड वन्दे भारत ट्रेन चलाकर लाई और एशिया की पहली हाईस्पीड लोको पायलट बन गई। रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने सुरेखा यादव को भारत की नारी शक्ति का प्रतीक ठीक ही बताया है।

गोविन्द वर्मा

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here