दिल्ली विश्विधालय सामूहिक नक़ल की आशंका

कोविड महामारी के कारण दिल्ली विश्वविद्यालय में वर्ष 2020 से ओपन बुक परीक्षा आयोजित की जा रही है। ओपन बुक परीक्षा में कई छात्र एक-एक सवाल का उत्तर 27 पेज तक में दे रहे हैं। पांच उत्तर के लिए 70 पेज छत्र भर रहे हैं। इस कारण शिक्षकों को इतने पेज में से उत्तर ढूंढने में दिक्कत आ रही है।

डीयू केविवेकानंद कॉलेज में इतिहास की एसोसिएट प्रोफेसर संध्या शर्मा ने बताया कि आजकल वह ओपन बुक परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिका की जांच कर रही हैं। उत्तर पुस्तिकाओं को पढ़ने के बाद उन्होंने नोटिस किया कि कई छात्र 50 से 60 पेज में उत्तर लिख रहे हैं। एक-एक प्रश्न का जवाब कई छात्र 27 पेज में लिख रहे हैं। जबकि कक्षाओं में आयोजित होने वाली परीक्षा में वह अमूमन 30-32 पेज में उत्तर लिख देते हैं।

वह कहती हैं कि पहले छात्र दो उत्तर लिखके बाद ही थक जाते थे और उनकी लिखावट खराब हो जाती थी। जबकि ओबीई में ज्यादातर छात्र औसतन 12 से 15 पेज में उत्तर दे रहे हैं और लिखावट एक जैसी है। यह एक तरह का धोखा लग रहा है। जो प्रश्न पूछा जा रहा है उसका उत्तर बिंदुओं में देने की बजाय वह पूरी कहानी लिख रहे हैं। इससे लगता है कि छात्रों के पास पहले से ही उत्तर तैयार हैं बस वह स्कैन करके उसे अपलोड कर देते हैं। इतने पेजों में उत्तर ढूंढने में भी दिक्कत आ रही है। इतने पेज जांचने के बाद समझ नहीं आ रहा है कि ओबीई देने वाले छात्रों की जांच का यह सही तरीका है या नहीं।

संध्या शर्मा कहती हैं कि मेरा मानना है कि मूल्यांकन के स्टैंडर्ड तय होने चाहिए। महामारी के दौरान ओबीई के अलावा कोई विकल्प नहीं था। लेकिन ओबीई सिस्टम की विस्तृत चर्चा करके दिशा-निर्देश दिए जाने चाहिए थे। पहले की तरह सभी हितधारकों की बैठक बुलानी चाहिए थी। प्रशासन को शिक्षकों से बात करनी चाहिए और तय करना चाहिए कि ऐसे छात्रों को कितने अंक देने चाहिए।

डीयू परीक्षा शाखा डीन प्रो डी.एस रावत कहते हैं कि एक शिक्षक को मूल्यांकन के नियमों का पता होना चाहिए। महामारी से पहले जब परीक्षा होती थी तब भी छात्र ऐसे ही लिखते थे। इस पूरे मामले को डीयू रजिस्ट्रार के संज्ञान में लाया जाएगा। उसके बाद वहीं से कुछ फैसला होगा।

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