सहारनपुर। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में मुश्किल से चार माह का समय बचा है। ऐसे में विधायकों पर विधायक निधि से विकास कार्य कराने का जबरदस्त दबाव है। जिला परियोजना अधिकारी देवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि कोरोना काल में एक वर्ष विधायकों की विधायक निधि निरस्त रही। विधायकों को प्रति वर्ष विधायक निधि के रूप में तीन करोड़ रूपए मिलते हैं जबकि हर साल मतदाताओं की संख्या बढ़ती जा रही है। लोगों की मांग और अपेक्षाएं भी बढ़ रही हैं। परियोजना निदेशक ने बताया कि इस साल मई में विधायकों को विधायक निधि की धनराशि निर्गत हुई है और आचार संहिता लगने के दौरान विधायक निधि के कार्य नहीं हो सकते। इस तरह से उनके पास ज्यादा से ज्यादा दिसंबर और जनवरी तक का वक्त बचा है। प्रस्ताव देने में बेहट के कांग्रेस विधायक नरेश सैनी ने बाजी मारते हुए दो करोड़ 98 लाख के काम कराने के प्रस्ताव दे दिए हैं। राज्यमंत्री धर्मसिंह सैनी ने दो करोड़ 77 लाख और सहारनपुर के सपा विधायक दो करोड़ 57 लाख, सहारनपुर देहात के विधायक मसूद अख्तर ने दो करोड़ 56 लाख रूपए, गंगोह के भाजपा विधायक चौधरी किरत सिंह ने दो करोड़ दो लाख के प्रस्ताव दिए हैं। बसपा एमएलसी महमूद अली भी दो करोड़ 64 लाख के प्रस्ताव दे चुके हैं। रामपुर मनिहारान के भाजपा विधायक अभी तक एक करोड़ दो लाख के, देवबंद के विधायक बृजेश रावत एक करोड़ 83 लाख के ही प्रस्ताव दे पाए हैं। कांग्रेस के विधायक नरेश सैनी का कहना था कि उनकी बेहट विधानसभा में करीब तीन सौ गांव पड़ते हैं। बेहट, छुटमलपुर और आठ हजार के मतदान वाला मिर्जापुर और दस हजार मतदान वाला कुल्डीखेड़ा जैसे बड़े कस्बे और गांव हैं। किसानों की मांग रहती है कि उनके खेतों तक सीसी की रोड़ बने या खडंजा लगे। उन्होंने कहा कि रास्तों की हालत बहुत ही खराब है। तीन करोड़ की विधायक निधि ऊंट के मुंह में जीरे जैसी है। उनकी मांग है कि विधायक निधि लोकसभा सदस्यों जितनी पांच करोड़ रूपए अवश्य होनी चाहिए।