दिवाली का त्योहार हर वर्ष कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है। लेकिन इस वर्ष दीपावली की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। हर व्यक्ति के मन में एक ही प्रश्न उठ रहा है कि दिवाली किस तारीख को मनाई जाए 31 अक्तूबर या 01 नवंबर? कुछ ज्योतिषियों के अनुसार दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी, क्योंकि अमावस्या की रात 31 अक्तूबर को है। जबकि कुछ ज्योतिषी विद्वान पंचांग के जरिए दावा करते हुए 01 नवंबर को दिवाली मनाने पर जोर दे रहे हैं।
तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति क्यों
दिवाली पर किया जाने वाला महालक्ष्मी का पूजन अमावस्या तिथि पर प्रदोष काल और स्थिर लग्न में सर्वोत्तम माना गया है। प्रदोष काल के अतरिक्त महानिशीथ काल में लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि माता लक्ष्मी का प्राकट्य अमावस्या तिथि के संध्याकाल में हुआ था। इसी वजह से दीपोत्सव और लक्ष्मी पूजन प्रदोषकाल और रात्रिकाल निशीथ काल में होती है।
कब से शुरू हो रही है अमावस्या तिथि
इस वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि 31 अक्तूबर को दोपहर 3: 22 मिनट से शुरू हो रही है और 01 नवंबर को सायं 5 बजकर 23 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। माता लक्ष्मी अमावस्या तिथि में प्रदोष काल और निशिथ काल में भ्रमण करती हैं इसके कारण माता की पूजा प्रदोष काल और निशीथ काल में करने का विधान होता है।
पंचांग के मुताबिक 31 अक्तूबर, गुरुवार के दिन पूरी रात्रि अमावस्या तिथि के साथ प्रदोष काल और निशीथ मूहूर्त काल भी है। ऐसे में शास्त्रों के अनुसार 31 अक्टूबर के दिन दीवाली का पर्व और लक्ष्मी पूजन करना सबसे अधिक फलदाई होगा क्योंकि दिवाली का पर्व तभी मनाना उत्तम रहता है जब प्रदोष से लेकर निशिथा काल तक अमावस्या तिथि रहे।
01 नवंबर को भी कर सकते हैं लक्ष्मी पूजन
जो साधक 01 नवंबर को ही दीपावली का पर्व मना रहे हैं उनके लिए लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त इस प्रकार है।
01 नवंबर को सायं 06: 16 मिनट तक अमावस्या तिथि रहेगी और सूर्यास्त 05:36 मिनट पर होगा। इस प्रकार देखा जाए तो 01 नवंबर को भी प्रदोष काल और अमावस्या तिथि रहेगी। यानी 01 नबंवर को सायं 05:36 मिनट से लेकर 06:16 मिनट तक लक्ष्मी पूजन के लिए करीब 40 मिनट का ही शुभ मुहूर्त मिलेगा।
01 नवंबर को क्यों मना सकते हैं दीवाली?
जैसा कि सबको ज्ञात है कि हिंदू धर्म में ज्यादातर पर्व और त्योहार की तिथियों की गणना उदया तिथि के आधार पर होती है। सूर्योदय के समय जो तिथि होती है उसे उदया तिथि के रूप में जाना जाता है। मान लीजिये यदि कोई तिथि सूर्योदय के समय के बाद 3 प्रहर तक रहती है तो उसे उदया तिथि कहते हैं।
अब यदि हम कार्तिक अमावस्या की बात करें तो उदया तिथि 01 नबंबर को सूर्योदय के बाद 3 प्रहर तक रहेगी। यानी 01 नबंबर को अमावस्या तिथि में प्रदोष काल भी रहेगा। यानी 01 नवंबर को लक्ष्मी पूजन करना कुछ विद्वान उचित मान रहे हैं। कुछ विद्वानों का मत है कि 01 नवंबर को दिवाली ज्यादा शुभ है। कुछ विद्वान मानते है कि चतुर्दशी से युक्त अमावस्या से ज्यादा अच्छी प्रतिपदा से युक्त अमावस्या होती है। इसलिए 01 नवंबर को दीपावली मनाई जानी चाहिए।
दिवाली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त (01 नवंबर, 2024)
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 05:36 से 06:16
अवधि – 00 घण्टे 41 मिनट
प्रदोष काल – 05:36 से 08:11
वृषभ काल – 06:20 से 08:15
दिवाली शुभ तिथि 2024
अमावस्या तिथि प्रारम्भ – 31 अक्तूबर शाम 03:52 से
अमावस्या तिथि समाप्त – 01 नवंबर शाम 06:16 तक
दिवाली निशिता काल पूजा मुहूर्त ( 01 नवंबर, 2024)
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त : कोई नहीं
महानिशीथ काल : 23:38 से 24:30 तक (02 नवंबर)
सिंह काल : 24:52 से 27:10 तक (02 नवंबर)
(अमावस्या तिथि निशिता मुहूर्त के साथ व्याप्त नहीं है।)