मुक्ति धाम न होने के कारण बारिश में तिरपाल के सहारे अंतिम संस्कार

सरकार की तमाम पंच-परमेश्वर और मनरेगा जैसी योजनाओं का धरातल पर कुछ अलग ही नजारा देखने को मिलता है। सरकार की इन योजनाओं के तहत हर साल लगभग सभी पंचायतों में लाखों रुपयों के कागजी काम के नाम पर भ्रष्टाचार होता है, लेकिन अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की सांठ-गांठ से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है। आज भी कई गांव ऐसे हैं, जहां मृतकों के लिए अंतिम संस्कार के लिए श्मशान तक नही हैं या भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए हैं।

कुछ ऐसी ही तस्वीरें भिंड जिले के गौहद क्षेत्र के ग्राम पंचायत बाराहेड के ग्राम मानपुरा में तिरपाल लगाने के बाद एक बुजुर्ग महिला का अंतिम संस्कार हो सका। वहीं, दूसरी ओर भिंड से कुछ भी दूर पर बसे चौकी गांव में एक व्यक्ति का अंतिम संस्कार पाइप और टीन के तख्ते लगाकर करना पड़ा।

भिंड के मानपुरा गांव निवासी बुजुर्ग महिला कैलाशी बाई के निधन के बाद उनके परिजन उनका अंतिम संस्कार करने के लिए श्मसान घाट पर ले गए। बारिश लगातार होने की वजह से तथा गांव से श्मसान घाट तक रास्ता न होने के कारण परिजन शव को लगभग 500 मीटर दूर कीचड़ में ले गए, जहां श्मसान घाट पर टीनशेड न होने की वजह से परिजनों को तिरपाल ऊपर तानकर खड़े होकर अंतिम संस्कार करना पड़ा।

मानपुरा गांव में ज़िम्मेदारों ने न तो शमशान घाट पर टीनशेड लगाया है न ही वहां तक पहुंचने के लिए रोड है। ऐसे में अधिकारियों से बात करो तो जांच के नाम पर कहकर बात को टाल देते हैं। वहीं चौकी गांव में भी एक बुज़ुर्ग का अंतिम संस्कार कराने के लिए परिजन जद्दोजहद करते नज़र आए, यहां टेंट के पाइप पर स्वयं का टीन शेड लगातार बारिश के बीच अंतिम संस्कार कराया गया। परिजनों का कहना है, गांव में अंतिम संस्कार के लिए मुक्तिधाम की कोई व्यवस्था नहीं है। इसलिए उन्हें पानी से भरे खेतों के बीच बुधवार को एक हल्की सूखी जगह पर ख़ुद का सेट तैयार करना पड़ा, तब जाकर शव को जलाया जा सका।

इस संबंध में ज़िला पंचायत सीईओ जेके जैन का कहना है, पूर्व में मेहगांव क्षेत्र के ग्राम में सड़क पर हुए अंतिम संस्कार मामले में भिंड कलेक्टर ने जिले के सभी पंचायतों के सचिवों से साथ बैठक कर नवम्बर तक सभी श्मशान की मरम्मत, जहां बने नहीं हैं वहां निर्माण कराने के निर्देश दिए थे। लेकिन दोनों गांवों में अब तक मुक्तिधाम पर काम क्यूं नहीं हुआ या स्वीकृत क्यूं नहीं किया गया। इस संबंध में दोनों सचिवों को नोटिस जारी कर पता करेंगे। साथ ही नवंबर तक गांव में मुक्तिधाम तैयार होगा, इस बात को लेकर भी आश्वस्त किया है।

गौरतलब है कि कुछ महीने पहले मेहगांव क्षेत्र के अजनौल गांव में भी मुक्तिधाम न होने से बारिश में एक बुजुर्ग मृतक के परिजन को सड़क पर अंतिम संस्कार करना पड़ा था। ये मामला मीडिया में हाईलाइट हुआ था, जिसके बाद कलेक्टर ने नवंबर तक ज़िले के सभी गांव में अनिवार्य मुक्तिधाम निर्माण जहां पूर्व से है, वहां मरम्मत कार्य पूर्ण कराने के आदेश जारी किए थे। लेकिन मानपुरा और चौकी गांव की तस्वीर से इतना साफ़ है कि श्मशान की टीन शेड पर किसी तरह का कार्य अब तक नहीं कराया गया। यानि अधिकारियों के आदेशों को ग्राम सचिव और नव-निर्वाचित सरपंच ने हवा में टाल दिया।

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