ईडी ने रायपुर महापौर एजाज ढेबर के घर में मारा छापा, समर्थकों ने किया जमकर विरोध प्रदर्शन

छत्तीसगढ़ में आज दूसरे दिन रायपुर महापौर एजाज ढेबर और उनके भाई अनवर ढेबर के घर में दबिश दी गई है। एजाज ढेबर के समर्थक उनके घर के सामने पहुंचकर ED और केंद्र सरकार के खिलाफ DJ लगाकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। दुर्ग-भिलाई में अलग अलग लोगों के यहां 9 से अधिक ठिकानों पर कार्रवाई चल रही है।

महापौर एजाज ढेबर के बंगले में ED की कार्रवाई जारी है। इस वक्त बड़ी संख्या में कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता महापौर के बंगले के सामने ढोल बजाकर केन्द्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे है। सुरक्षा के लिए बड़ी संख्या में पुलिसबल तैनात है। निगम सभापति प्रमोद दुबे, एमआईसी सदस्य आकाश तिवारी, शहर जिला अध्यक्ष गिरीश दुबे भी मौके पर मौजूद हैं।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक रायपुर, बिलासपुर, भिलाई-दुर्ग में ED की टीम पहुंची है। रायपुर में IAS अनिल टुटेजा, शराब कारोबारी बलदेव सिंह भाटिया, भिलाई के होटल संचालक विनोद सिंह के यहां कार्रवाई जारी है। दोपहर होते-होते कार्रवाई की जद में आबकारी विभाग के भी अधिकारी आ गए। साथ ही छापामार टीम शराब के कारोबार से जुड़े कई अन्य लोगों के ठिकानों पर भी दबिश देकर दस्तावेज खंगाल रही है।

दुर्ग जिला मुख्यालय की बात करें तो ED की टीम यहां सुबह 6 बजे पहुंची। सबसे पहले शराब कारोबारी विनोद बिहारी और कांग्रेस नेता क्षितिज चंद्राकर के यहां छापेमारी की। इसके साथ अलग-अलग टीमों ने नेहरू नगर निवासी एन उदय राव, शराब कारोबारी पप्पू बंसल खुर्सीपार, अतुल सिंह स्मृति नगर, संजीव फतेपुरिया नेहरू नगर, शराब कारोबारी और केडिया डिसलरी के डायरेक्टर विजय भाटिया, नेहरू नगर कोयला कारोबार से जुड़े सेक्टर 9 स्थित एपी त्रिपाठी, और IAS अनिल टुटेजा के घर में कार्रवाई जारी है। 

मंगलवार से जारी है ED की कार्रवाई

मंगलवार को ईडी ने जमीन कारोबारी सुरेश बांदे, सीए प्रतीक जैन और कांग्रेस से जुड़े नेताओं के ठिकानों पर पहुंची थी। रायपुर, भिलाई, बिलासपुर और रायगढ़ में इनसे संबंधित निवास और व्यवसायिक परिसर में CRPF की टीम जांच अधिकारियों को सुरक्षा देते हुए दिखाई दी थी। हालांकि ईडी ने दोनों ही दिनों की कार्रवाई को लेकर अब तक कोई बयान जारी नहीं किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा था- बीजेपी नेताओं के इशारे पर पड़ रहे छापे

मंगलवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था, कोई ऐसा वर्ग नहीं बचा जहां छापा न डाला गया हो। अगर कहीं छापे की कार्रवाई नहीं होती तो केवल मध्यप्रदेश,उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात और कर्नाटक जैसे बीजेपी शासित राज्यों में, ऐसा लगता है कि यहां ED का दफ्तर ही नहीं है।

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