दुनिया अब चांद और उससे आगे की उड़ान भरने की तैयारी में है, और इसी दिशा में अंतरिक्ष विज्ञान एक प्रमुख क्षेत्र बनता जा रहा है। स्पेस मिशन और तकनीक को समझने के लिए वैश्विक स्तर पर तमाम देश विभिन्न परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं। ऐसे में एयरोस्पेस सेक्टर तेजी से उभरता हुआ एक संभावनाओं भरा क्षेत्र बन गया है।
इसी कड़ी में IIT मद्रास ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। संस्थान अब एयरोस्पेस विषय में ऑनलाइन बैचलर ऑफ साइंस (B.Sc.) कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है। यह जानकारी हाल ही में IIT मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी. कामकोटी ने दी है। इस पाठ्यक्रम में दाखिला लेने के लिए JEE परीक्षा देना अनिवार्य नहीं होगा, यानी इच्छुक छात्र सीधे इस डिग्री कोर्स में प्रवेश ले सकेंगे।
कब शुरू होगा कोर्स?
हालांकि इस कोर्स की शुरुआती तारीख की घोषणा अभी नहीं हुई है, लेकिन यह स्पष्ट है कि यह पाठ्यक्रम IIT मद्रास के अन्य दो ऑनलाइन B.Sc. कार्यक्रमों की तर्ज पर संचालित किया जाएगा, जिनमें पहले से ही JEE की बाध्यता नहीं है।
क्यों खास है एयरोस्पेस इंजीनियरिंग?
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग को दुनिया के सबसे कठिन इंजीनियरिंग विषयों में गिना जाता है। इसमें फिजिक्स, गणित, थर्मोडायनामिक्स, फ्लूड मैकेनिक्स, मटीरियल साइंस, कंप्यूटर साइंस और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे विषय शामिल होते हैं। भारत में इस कोर्स की पढ़ाई कुछ चुनिंदा IITs, BITS पिलानी और कई प्रमुख निजी विश्वविद्यालयों में होती है।
छात्रों को कोर इंजीनियरिंग में रुचि लेने की अपील
प्रोफेसर कामकोटी ने इस अवसर पर यह भी कहा कि JEE एडवांस में टॉप 100 में शामिल लगभग 99% छात्र कंप्यूटर साइंस को प्राथमिकता देते हैं, जिससे कोर इंजीनियरिंग शाखाएं हाशिये पर जा रही हैं। उन्होंने टॉपर्स से आग्रह किया कि वे कोर इंजीनियरिंग क्षेत्रों, जैसे एयरोस्पेस, को भी चुने।
करियर और सैलरी की अपार संभावनाएं
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करने के बाद छात्रों के सामने ISRO, DRDO, HAL, Boeing, Airbus और यहां तक कि NASA जैसी संस्थाओं में काम करने के अवसर खुलते हैं। शुरुआती पैकेज 10 से 20 लाख रुपये सालाना हो सकता है, जो अनुभव के साथ करोड़ों रुपये सालाना तक पहुंच सकता है।