कांधला के चुनावी मुर्गे !

समाचार है कि मुजफ्फरनगर जिले के कांधला कस्बे के पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष हाजी इस्लाम ने कस्बे के मौहल्ला खैल, मिर्दगान, मौलानान व गंगेरू रोड़ के निवासियों को बड़ी तादाद में जीवित मुर्गे बाटे हैं। पता चला है कि मुफ्त में मुर्गे लेने के लिए लोग मुर्गों से भरी गाड़ी पर टूट पड़े और आपाधापी मच गई।

उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकायों की घोषणा के बाद राजनीतिक सक्रियता बढ़ गई है। मतदाताओं को पटाने के लिए सम्भावित उम्मीदवार अभी से मुफ्त की रेवडियों वाला फार्मूला अपना रहे हैं। इस लिए हाजी इस्लाम ने अपने वोटरों को रेवड़ी नहीं, वही खिलाया जो वे खाते हैं।

चुनावों में मुफ्तखोरी और मतदाताओं को वोट के बदले नोट बांटने की परम्परा पुरानी है। शराब की बोतलों के साथ कीमती वस्तुएं तो प्रधानी के चुनावों में भी बंटती हैं। अब तो राजनीतिक दल व मुख्यमंत्री विधानसभाओं व संसद तक के चुनावों में भी मुफ्तखोरी को बढ़ावा देने की लुभावती घोषणायें करते हैं। यह मामला निर्वाचन आयोग तथा सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा हुआ है किन्तु समस्या समाधान का कोई रास्ता निकलता दिखाई नहीं देता। चनावों में कालाधन और धन्ना सेठों की लिप्तता बढ़ती ही जा रही है। परिणामस्वरूप नेक-भला आदमी चुनाव लड़ने से कतराने लगा है।

यह शीर्ष अदालत और निर्वाचन आयोग भी जानता है कि चुनाव में निर्धारित सीमा से अधिक पैसा बहाया जाता है किन्तु इसका समाधान कोई निकाल नहीं पा रहा है।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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