युवा राज्य तेलंगाना में गुरुवार को मतदान होगा। मुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति के अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव कांग्रेस से कड़ी टक्कर के बीच तीसरे कार्यकाल की उम्मीद कर रहे हैं। भारत संघ का सबसे युवा राज्य उत्तर पश्चिम आंध्र प्रदेश से अलग होकर देश का 29वां राज्य बना और तब से इस पर बीआरएस का शासन है। भारत राष्ट्र समिति का मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा से है। दोनों दल राज्य में अपनी पूरी ताकत लगा रही हैं। 119 सदस्यीय राज्य विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। राज्य भर में 35,655 मतदान केंद्र बनाए गए हैं जहां कुल पंजीकृत 3.26 करोड़ मतदाता हैं। सुचारू और व्यवस्थित मतदान सुनिश्चित करने के लिए अर्धसैनिक बलों और 35,500 होम गार्ड सहित 45,000 से अधिक सुरक्षा कर्मियों को तैनात करके कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। चुनाव के दौरान अनियमितताओं की जांच के लिए करीब 1800 दस्ते भी तैनात किये गये हैं. मतदान समाप्ति तक शराब की बिक्री पर रोक लगा दी गयी है।
106 निर्वाचन क्षेत्रों में सुबह सात बजे से शाम पांच बजे तक और 13 वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) प्रभावित निर्वाचन क्षेत्रों में सुबह सात बजे से शाम चार बजे तक मतदान होगा। 2,290 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव, उनके मंत्री-बेटे के. टी. रामाराव, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ए. रेवंत रेड्डी और भाजपा के लोकसभा सदस्य बी. संजय कुमार और डी अरविंद शामिल हैं। निर्वाचन आयोग द्वारा नौ अक्टूबर को चुनावों की तारीख घोषित किए जाने के बाद से ही राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू है। तेलंगाना में सत्तारूढ़ बीआरएस ने सभी 119 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं जबकि भाजपा सीट बंटवारे के समझौते के अनुसार स्वयं 111 सीटों पर लड़ रही है और शेष आठ सीटें अभिनेता पवन कल्याण की अगुवाई वाली जन सेना के लिए छोड़ी है। कांग्रेस ने अपनी सहयोगी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा)को एक सीट दी है और स्वयं शेष 118 सीट पर लड़ रही है।
असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) नेहैदराबाद शहर के नौ निर्वाचन क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतारे हैं। बीआरएस 2014 में शुरू हुई अपनी जीत के सिलसिले को आगे भी कायम रखने को लेकर उत्सुक है जबकि कांग्रेस 2018 में और उससे चार साल पहले हारने के बाद सत्ता पर काबिज होने के लिए संघर्ष कर रही है। कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दौरान ही तेलंगाना को अविभाजित आंध्र प्रदेश से अलग कर राज्य का दर्जा दिया गया था। इस दक्षिणी राज्य में पहली बार सत्ता में आने के लिए भाजपा भी कोई कसर नहीं छोड़ रही है। मुख्यमंत्री राव दो निर्वाचन क्षेत्रों गजवेल और कामारेड्डी में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। वह निवर्तमान विधान सभा में गजवेल का प्रतिनिधित्व करते हैं। कामारेड्डी और गजवेल में रोमांचक मुकाबले देखने को मिल रहा है। कांग्रेस ने कामारेड्डी में मुख्यमंत्री का मुकाबला करने के लिए अपने प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी को मैदान में उतारा है जबकि भाजपा उम्मीदवार वेंकट रमण रेड्डी भी मजबूत माने जा रहे हैं। गजवेल में भाजपा ने मुख्यमंत्री राव के खिलाफ अपने चुनाव अभियान अध्यक्ष एटाला राजेंद्र को मैदान में उतारा है।