मौलाना का झूठा आरोप!

आज मीडिया के ज्ज्वलंत मुद्दे हैं – किसान आंदोलन, अफगानिस्तान पर आतंकी तालिबानों का कब्जा और कोरोना की तीसरी संभावित लहर से जूझने की तैयारी। ऐसे में जब कोई भारत में अल्पसंख्यकों एवं दलितों की लिंचिंग (भीड़ द्वारा हत्या) के ज़रिये योजनाबद्ध तरीके से मारने की बात करे तो आप क्या कहेंगे?

जमीअत उलेमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने दिल्ली में जमीयत कार्यकारिणी बैठक में कहा है कि भारत भर में योजना बना कर मुस्लिमों को लिंचिंग के ज़रिये मारा जा रहा है ताकि बहुसंख्यक हिंदुओं को अल्पसंख्यकों के विरुद्ध लामबन्द किया जा सके। मौलाना के कथनानुसार इस योजना की ओर से सरकार आंखे मूंदे बैठी है जिससे दुनिया भर में भारत की फजिहत हो रही है और देश की सेक्यूलरवादी छवि पर धब्बा लग रहा है। मौलाना ने कहा कि यदि योजनाबद्ध लिंचिंग प्रोग्राम को न रोका गया तो अल्पसंख्यकों एवं दलितों के दिलों में आग लग जाएगी और देश गृहयुद्ध में झुलस सकता है। जमीयत अध्यक्ष ने सेक्यूलरवादी दलों से कहा है कि वे अल्पसंख्यकों की लिंचिंग रोकने का कानून बनाने को सरकार पर दबाव बनायें।

जब कि देश भीतर और बाहर की अनेक समस्याओं से घिरा है और देश में आन्तरिक शांति तथा सामाजिक भाईचारे की आवश्यकता हो तब इस प्रकार के फर्जी आरोप एवं झूठे-भ्रामक मुद्दे उछाल कर देश में मजहबी जुनून फैलाने को आप क्या कहेंगे। यह सरकार को देखना है कि वह भड़काऊ, उत्तेजक भाषण देने वालों को खुली छूट देती रहेगी या उन पर नकेल डालेगी। यहां तो पहले ही गाली-गलौच करने और झूठ के पुलिंदो के सहारे जनता को अराजकता की ओर धकेलने की प्रतियोगिता चल रही है जिसकी बानगी देशवासियों को रोज़ ही देखने को मिल रही है।

गोविंद वर्मा
संपादक देहात

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