कृषि कानूनों के विरोध में समर्थन जुटाने के लिए किसानों का ‘मिट्टी सत्याग्रह’ शुरू, 1500 गांवों से लाई गई मिट्टी

कृषि कानून के खिलाफ 131 दिन से दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में देश भर में मिट्टी सत्याग्रह यात्रा निकाली गई, यात्रा के माध्यम से 3 किसान विरोधी कानूनों को रद्द करने, सभी कृषि उत्पादों की एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी, बिजली संशोधन बिल पर लोगों में जागरूकता पैदा की गई। दरअसल मिट्टी सत्याग्रह यात्रा 30 मार्च को दांडी (गुजरात) से शुरू होकर राजस्थान, हरियाणा, पंजाब होते हुए शाहजहांपुर बॉर्डर पहुंची। वहीं देश भर से 23 राज्यों की 1500 गांव की मिट्टी लेकर किसान संगठनों के साथी दिल्ली बॉर्डर पहुंच चुके हैं।

जिनमें गुजरात के 33 जिलों की मंडियों, 800 गांव, महाराष्ट्र के 150 गांव, राजस्थान के 200 गांव, आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना के 150 गांव, उत्तर प्रदेश के 75 गांव, बिहार के 30 गांव, हरियाणा के 60 गांव, पंजाब के 78 गांव की मिट्टी वहीं संबलपुर के शहीद वीर सुरेंद्र साय, लोअर सुकटेल बांध विरोधी आंदोलन के गांव एवम ओडिसा के अन्य 20 जिलों के 20 गांव की मिट्टी पहुंची है।

दिल्ली के नागरिक 20 स्थानों की मिट्टी के साथ बॉर्डर पर पहुंचेंगे। कई राज्यों से मिट्टी सत्याग्रह यात्राएं भी बोर्डरों पर पहुंची और हर बॉर्डर पर शहीद किसान स्मारक बनाये गए हैं।

नमक कानून के विरोध में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा निकाली गई दांडी यात्रा से प्रेरणा लेकर नए कृषि कानूनों के विरोध में मिट्टी सत्याग्रह किया गया है।

सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर की अगुवाई में किए जा रहे इस सत्याग्रह में गुजरात के 33 जिलों के आठ सौ गांवों से मिट्टी लेकर सत्याग्रही दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचे।

गाजीपुर बार्डर पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सभी लोगों का स्वागत किया। वहीं शहीद भगत सिंह, सरदार पटेल, चंद्रशेखर आजाद, ऊधम सिंह और सुखदेव जैसे क्रांतिकारियों के गांवों से लाई गई इस मिट्टी से दिल्ली की सरहदों पर अस्थाई किसान स्मारक बनाए गए हैं।

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