दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने दिल्ली में पहचान बदलकर रह रही नक्सली महिला को गिरफ्तार किया है। उसने नाम व पहचान बदल ली थी। वह नक्सली बनने के समय पांच साल का कठोर प्रशिक्षण लिया था। गिरफ्तार नक्सली महिला वर्ष 2018, 2019 और 2020 में तीन मुठभेड़ों में शामिल रही थी।
23 साल की है महिला नक्सली
अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त विक्रम सिंह ने बताया कि गिरफ्तार महिला (23 वर्ष) झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के कुदाबुरू गांव की रहने वाली है। उन्होंने बताया कि इंस्पेक्टर लिछमन और एसआई देवेंद्र को एक माओवादी चरमपंथी महिला के बारे में 4 मार्च को गोपनीय जानकारी मिली,जो सीपीआई माओवादी नक्सली समूह का सदस्य है।
नाम और पता बदल कर रह रही थी महिला नक्सली
यह पता चला कि नक्सली महिला अपनी असली पहचान छिपाकर और गलत नाम का इस्तेमाल कर दिल्ली के पीतमपुरा इलाके में रह रही है। वह वर्तमान में महाराणा प्रताप एन्क्लेव, पीतमपुरा में भी नौकरी करती है। पुलिस टीम ने महाराणा प्रताप एन्क्लेव, पीतमपुरा, दिल्ली में छापेमारी कर आरोपी महिला को गिरफ्तार कर लिया।
नक्सली कैंप में ले चुकी है प्रशिक्षिण
गिरफ्तार महिला एक किसान परिवार से है और उसके तीन भाई और दो बहनें हैं। उसके गांव का एक माओवादी उसके पास आया और उसे बेहतर भोजन, देखभाल और सुरक्षा का लालच देकर अपने साथ ले गया। उस समय नक्सली शिविर में 300-450 लोग रहते थे, जिनमें 40-50 महिलाएं थीं। उसकी उम्र के 4-5 बच्चे शिविर में शामिल थे।
नक्सल गतिविधियों में उसकी भागीदारी बेहद कम उम्र यानी 10 वर्ष की आयु से शुरू हुई जब वह कुख्यात नक्सली शिविर भाकपा माओवादी उग्रवादी जीवन कंडुलना में शामिल हुई।
नोएडा में भी रह चुकी है महिला नक्सली
पूछताछ के अनुसार, यह पता चला है कि उसने एसएलआर, इंसास, एलएमजी, हैंड ग्रेनेड और 303 राइफल को चलाने का प्रशिक्षिण ले रखा है। गिरोह के साथ पैदल गश्त के दौरान, वह इंसास राइफल ले जाती थी। 2018 में, उसने कोल्हान में झारखंड पुलिस के साथ मुठभेड़ में भाग लिया, अपने गुट के कमांडर के निर्देश पर काम करते हुए, वह दिल्ली चली गई। दिल्ली पहुंचने पर, उसने अपनी असली पहचान छिपाई और नोएडा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में एक हाउस क्लीनर के रूप में काम करना शुरू कर दिया। वह पीतमपुरा इलाके में बस गई।