आज दो बेहद अफसोसनाक खबरों ने देश के विवेकशील नागरिकों को झकझोर दिया है। एक दु:खदाई समाचार कश्मीर का है जहां पुंछ में पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ करने वाले आतंकियों को रोकने के प्रयास में एक जूनियर कमीशन ऑफिसर सहित हमारे पांच जवान शहीद हो गए हैं। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार सीमा पर हजारों की संख्या में अफगानिस्तान जेल से छोड़े गए आतंकी घाटी में घुसने को तैयार बैठे हैं, दूसरी और उनके गुर्गे घाटी में हिंदुओं-सिखों की हत्या कर अल्पसंख्यकों को कश्मीर से पलायन कराने में जुटे हैं।
दूसरी खबर महाराष्ट्र से है जहां सत्तारूढ़ महाआघाड़ी विकास पार्टी गठबंधन यानि शिवसेना,एनसीपी, कांग्रेस ने सरकारी स्तर पर बंद आयोजित कर मुंबई में तनाव व हिंसा का माहौल बना दिया है। इन पंक्तियों को लिखे जाने तक शिवसेना व कांग्रेस के कार्यकर्ता (या गुंडे) 8 सरकारी बसों को आग लगा कर फूंक चुके हैं। शिवसेना के समर्थक गाड़ियों में घूम-घूम कर धमकियां देकर दुकानें बंद करा रहे हैं।
जिस सरकार पर कानून व्यवस्था संभालने का उत्तरदायित्व है, वही अराजकता फैलाने में और लाखों मुंबईवासियों को परेशान करने में जुटी है। क्षेत्रीय छत्रप लोकतंत्र और जनहित की लंबी-चौड़ी डींगे हांकते हैं किंतु अपना उल्लू सीधा करने को आग लगाने से भी नहीं चूकते। क्षेत्रीय दलों के लिए लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, किसान-मजदूर कल्याण की बातें अपनी वंशवादी सरकार स्थापित करने का एक हथकंडा मात्र है। जब मुलायम सिंह मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने भी सरकारी लखनऊ बंद आयोजित किया था। अरुण अन्ना नाम का बाहुबली हल्ला ब्रिगेड का नेतृत्व कर रहा था और दुकानों के काउंटरों को लाठियां मारकर बाजार बंद कराया जा रहा था।
कश्मीर की घटनाओं को आतंकी हरकत बता कर हल्के में नहीं लिया जा सकता। इधर चीन पूर्वी लद्दाख में भारत को आंखें दिखा रहा है। भारत-चीन सैन्य वार्ता का 13वां दौर चीन के अड़ियल रवैये से नाकाम रहा। आज देश के सामने बड़ा संकट है। जो शिवसेना पालघर में साधुओं की लिंचिग पर मूक दर्शक बनी रही वह हजारों किलोमीटर दूर हादसे की आड़ लेकर अफरा-तफरी फैला रही है।
हर संकट में मौका तलाशने वाले गैर जिम्मेदार विपक्ष देश को किधर ले जाना चाहता है? क्या वह इंदिरा गांधी जैसी इमरजेंसी देश पर थोपने के जुगाड़ में है?
सकारात्मक सोच वाला प्रत्येक भारतीय चाहेगा कि देश के शत्रुओं का हर षड्यंत्र असफल हो और तिकड़मों के सहारे अराजकता फैलाने वालों के सभी हथकंडे नाकाम हों। जनमानस व नेतृत्व को धैर्य के साथ इन संकटों से देश को उबारना होगा।
गोविंद वर्मा
संपादक देहात