युद्ध के बीच रूसी सेना में बदलाव, पुतिन ने थल सेना प्रमुख को हटाया

रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच रूसी सेना में बड़ा फेरबदल हुआ है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूस की थल सेना के प्रमुख जनरल ओलेग सल्युकोव को उनके पद से हटा दिया है। यह फैसला उस समय लिया गया है जब रूस की युद्ध रणनीतियों को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचनाएं हो रही हैं। सल्युकोव, जो 2014 से रूस के ग्राउंड फोर्स के कमांडर इन चीफ थे, अब रूसी सुरक्षा परिषद में उप सचिव के पद पर नियुक्त किए गए हैं।

जनरल सल्युकोव का कार्यकाल और विवाद

जनरल ओलेग सल्युकोव का कार्यकाल मुख्य रूप से आधुनिक हथियारों के समावेश और सैन्य रणनीतियों में सुधार के लिए जाना जाता है। उन्होंने रूसी थल सेना को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने पर जोर दिया। हालांकि, 2024 में यूक्रेन द्वारा कुर्स्क क्षेत्र में अचानक किए गए हमले ने रूस की सीमाओं की सुरक्षा पर सवालिया निशान लगा दिया था। इस घटना के बाद रूस की युद्ध रणनीति की कड़ी आलोचना शुरू हो गई, जिससे रूसी नेतृत्व पर दबाव बढ़ा।

रणनीति में बदलाव की जरूरत

विशेषज्ञों का मानना है कि यूक्रेन युद्ध के दौरान रूस की थल सेना को जिस तरह से चुनौतियों का सामना करना पड़ा, उसने पुतिन को सेना में बदलाव के लिए मजबूर कर दिया। कुर्स्क क्षेत्र में हुए हमले के बाद यह महसूस किया गया कि मौजूदा जमीनी रणनीतियों में सुधार की आवश्यकता है। पुतिन ने नई सोच और ऊर्जा के साथ सेना का नेतृत्व करने के लिए सल्युकोव को हटाकर बदलाव का संकेत दिया है।

नए पद पर सल्युकोव

सल्युकोव को हटाकर उन्हें रूसी सुरक्षा परिषद में उप सचिव के पद पर नियुक्त किया गया है। यह पद हालांकि सेना प्रमुख की तुलना में कम महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन रूसी नेतृत्व ने इसे एक संतुलित कदम बताया है। पुतिन ने संकेत दिया है कि सल्युकोव का अनुभव नई जिम्मेदारी में उपयोगी साबित हो सकता है।

क्या है आगे की योजना?

रूसी सेना में इस बदलाव को नई रणनीति की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। पुतिन की प्राथमिकता अब ऐसे नेतृत्व को आगे लाना है जो युद्ध में तेजी से बदलते हालातों का सामना कर सके। सेना में इस फेरबदल के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि नया नेतृत्व युद्ध की चुनौतियों का सामना कैसे करता है।

रूस-यूक्रेन युद्ध के मौजूदा हालातों में यह फैसला सिर्फ सैन्य ही नहीं, बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि पुतिन अब सेना में नई सोच और दृष्टिकोण लाना चाहते हैं ताकि भविष्य की चुनौतियों का सामना प्रभावी तरीके से किया जा सके।

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