ट्रंप का बड़ा बयान: इज़राइल को भारी नुकसान, ईरान को बताया समझदार

ईरान और इज़राइल के बीच हालिया संघर्षविराम के बाद अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस युद्ध के परिणामों को लेकर चर्चाएं तेज़ हैं। इसी बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नीदरलैंड दौरे के दौरान नाटो नेताओं से मुलाकात की और पत्रकारों से बातचीत में युद्ध से जुड़े कुछ अहम संकेत दिए।

नाटो शिखर सम्मेलन के बाद मीडिया से रूबरू होते हुए ट्रंप ने कहा, “ईरान के पास तेल है और वे समझदारी से रणनीति बनाते हैं। इज़राइल को इस संघर्ष में भारी नुकसान उठाना पड़ा, खासकर बीते दो दिनों में। बैलिस्टिक मिसाइलों ने कई इमारतों को तबाह कर दिया।” ट्रंप के इस बयान को ईरान के उस दावे से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें उसने कहा था कि युद्धविराम की पहल इज़राइल ने की थी।

इज़राइल को हुआ बड़ा आर्थिक और संरचनात्मक नुकसान

13 जून से शुरू हुए इस संघर्ष में इज़राइल को व्यापक नुकसान उठाना पड़ा है। अब यह बात वहां की स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में भी सामने आ रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार, युद्ध के केवल 12 दिनों में लगभग 39,000 नागरिकों ने मुआवज़े के लिए आवेदन किया है। इनमें से अधिकतर आवेदन मकानों को हुए नुकसान से संबंधित हैं।

इज़राइली टैक्स अथॉरिटी के अनुसार, अब तक प्राप्त कुल 38,700 मुआवज़ा दावों में 30,809 दावे आवासीय परिसरों को हुए नुकसान को लेकर हैं। इसके अलावा 3,713 दावे वाहनों के नुकसान और 4,085 आवेदन मशीनरी एवं अन्य संपत्तियों को लेकर दर्ज किए गए हैं।

ईरान में नुकसान ज्यादा, लेकिन आंकड़े सीमित

संघर्ष के दौरान ईरान ने भी इज़राइल के हमलों का सामना किया, जिससे वहां भी भारी तबाही हुई है। हालांकि, ईरान से आधिकारिक रूप से नुकसान के आंकड़े सामने नहीं आए हैं, लेकिन विभिन्न स्रोतों के अनुसार, वहां हताहतों की संख्या कहीं अधिक बताई जा रही है।

अनुमान है कि इज़राइली हमलों में ईरान में लगभग 600 लोगों की जान गई है, जबकि इज़राइल में यह संख्या लगभग 30 के आसपास रही। यह असंतुलन बताता है कि भले ही दोनों पक्षों को नुकसान हुआ हो, लेकिन मानवीय क्षति के मामले में ईरान कहीं अधिक प्रभावित हुआ है।

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