चंडीगढ़, जेएनएन। शिरोमणि अकाली दल के पूर्व विधायक और हाईकोर्ट के जज रहे निर्मल सिंह ने मांग की है कि स्कॉलरशिप घाेटाले पर अकाली व कांग्रेस अगर गंभीर है तो इसकी जांच 2012 से करवाई जाए। उन्होंने कहा कि अगर दोनों पार्टियों को एक दूसरे की सरकार पर भरोसा नहीं है तो पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की निगरानी में यह जांच किसी रिटायर्ड जज से करवाई जा सकती है।
जस्टिस निर्मल सिंह ने विधानसभा कमेटी का चेयरमैन रहते हुए किया था घोटाले का पर्दाफाश
बता दें कि जस्टिस निर्मल सिंह ने ही सबसे पहले इस स्कॉलरशिप से पर्दा उस समय उठाया जब वह पंजाब विधानसभा की एससी बीसी कल्याण कमेटी के चेयरमैन थे। उन्होंने बताया कि प्राइवेट संस्थानों के लिए स्कॉलरशिप एक सोने की खान बन गई है। हमारी जांच में यह सामने आया है कि बहुत से कॉलेजों ने एक ही विद्यार्थी को तीन-तीन कॉलेजों में दिखाकर वजीफा वसूला हुआ था।
उन्होंने कहा कि कॉलेजों ने लिखकर दिया कि सभी स्टूडेंट उनके कॉलेजों में दाखिल हुए हैं लेकिन जब हमने विभाग से इसकी फिजिकल वेरिफिकेशन करने को कहा तो अधिकतर कॉलेज बोले कि स्टूडेंट ने दाखिला ताे लिया था लेकिन बाद में वे छोड़कर चले गए। जब कमेटी ने उनसे जानना चाहा कि उनके घर के पते आदि बताए जाएं ताे कॉलेजों ने कहा कि यह उनके पास नहीं हैं।
जस्टिस निर्मल सिंह ने आरेाप लगाया कि क्या यह संभव है कि जिस स्टूडेंट ने कॉलेज में दाखिला लिया हो और उसका पता, बैंक अकाउंट आदि कॉलेज के पास न हों। उन्होंने कहा, इस सारे घोटाले संंबंधी हमने विधानसभा में रिपोर्ट दी तो तमाम विधायकों ने उनका साथ दिया चूंकि उस समय मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल सदन में मौजूद नहीं थे इसलिए उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल ने ऑडिट के आदेश दिए। उन्होंने बताया कि मौजूदा घपला भी इसी से जुड़ा हुआ है। इसलि इसकी गहनता से जांच की जरूरत है।
पूर्व विधायक ने कहा कि इस समय कांग्रेस को केंद्र की जांच पर भरोसा नहीं है और अकाली दल को पंजाब सरकार पर, इसलिए मेरी मांग यह है कि अगर दाेनों दलों को इस घपले का सच उजागर करना है तो उन्हें इसकी जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से करवानी चाहिए पर यह हाईकोर्ट की निगरानी में होनी चाहिए। यह जांच 2012 से होनी चाहिए ताकि पूरा सच बाहर आए।