गाजियाबाद शहर में वायु प्रदूषण से सांसों पर संकट बरकरार है। बुधवार को गाजियाबाद फिर देश में सबसे प्रदूषित शहर रहा। एक्यूआई 428 मापा गया। प्रदूषण रोकथाम के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। जानकार उत्तर-पूर्व में पराली जलने और हवा की गति कम रहने को प्रदूषण का कारण बता रहे हैं। इसके अलावा जमीन पर रोकथाम के प्रयास नाकाफी दिख रहे हैं। पीएम 10 मानक से पांच गुना अधिक दर्ज किया गया।
पीसीबी अधिकारी लगातार पानी का छिड़काव कराने और बिल्डिंग मैटेरियल को ढकने के लिए तमाम विभागों को निर्देशित कर रहे हैं। मगर फिर भी विभिन्न जगहों पर कोताही बरती जा रही है। साहिबाबाद औद्योगिक क्षेत्र और निर्माण स्थलों पर धूल-मिट्टी उड़ती रहती है। जिससे हवा में प्रदूषण के कण घुल रहे हैं।
पीसीबी के आंकड़ों को देखें तो गाजियाबाद का एक्यूआई 428 पर है। जो लोगों के सांसों के लिए बेहद खतरनाक श्रेणी में है। यह स्तर देश के प्रदूषित शहरों में पहले नंबर पर है। चिकित्सक राहुल गुप्ता ने लोगों को इस श्रेणी में प्रदूषण रहने तक सुबह की सैर न करने की सलाह दी है। अस्थमा के मरीजों को एयर प्यूरीफायर लगाने और डॉक्टरों के संपर्क में रहने की बात कही है। दूसरे नंबर पर पानीपत का एक्यूआई 417 पर रिकॉर्ड हुआ है।
तीसरे नंबर पर हापुड़ की वायु गुणवत्ता 412 और चौथे पर बुलंदशहर का एक्यूआई लेवल 411 मापा गया। पीसीबी अधिकारी उत्सव शर्मा का कहना है कि उत्तर-पूर्व की दिशा में पराली जलाने और हवा की गति काफी कम रहने से प्रदूषण कम नहीं हो रहा है।
वहीं लोनी में प्रदूषण फैलाने वाली और अवैध फैक्टरियों पर बड़ी कार्रवाई की गई। इनमें बिजली कनेक्शन काटने से लेकर सीलिंग तक की कार्रवाई हुई। मगर अब भी कई जगहों पर कूड़ा जलाने, गंदगी फैलाने, वाहनों का धुआं, निर्माण स्थलों पर नियमों का पालन पूरे न होने की कमी देखी जा रही है। इनके खिलाफ संबंधित विभागों को कार्रवाई करने के लिए कहा गया है।
लोनी में सबसे अधिक प्रदूषण
पीसीबी के अधिकारी की मानें तो अगले चार दिनों तक पराली जलने और हवा की गति धीमी होने का असर वायु गुणवत्ता पर रहेगा। समय दर समय इसमें मामूली कमी दर्ज की जाएगी। लेकिन लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। बुधवार को लोनी का प्रदूषण स्तर सबसे अधिक 454 पर मापा गया। दूसरे नंबर पर संजय नगर का एक्यूआई लेवल 437 रिकॉर्ड हुआ। वसुंधरा का प्रदूषण स्तर 406 रहा।