बिहार में लखीसराय जिले के कजरा में दो परियोजनाओं को मिलकर 301 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन होगा. इसके जुलाईअगस्त से शुरू होने की संभावना है. यह देश की सबसे बड़ी (495 मेगावॉट आवर) ऐसी सौर ऊर्जा परियोजना है, जिसमें उच्च क्षमता की बैटरी की मदद से बिजली को संरक्षित कर इसे पिक ऑवर खासकर रात के समय इसकी सप्लाई की जाएगी. इससे बिजली की किल्लत काफी हद तक दूर होगी. राज्य मंत्रिपरिषद से स्वीकृत मिलने के उपरांत इस परियोजना के लिए निविदा जारी कर दी गई है.
इस मामले में ऊर्जा विभाग के मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव का कहना है कि अक्षय ऊर्जा की महत्वाकांक्षी परियोजना का विस्तार होगा. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश की दूरदर्शी सोच एवं कुशल नेतृत्व में बिहार ने ऊर्जा क्षेत्र में अनेक कीर्तिमान हासिल किए हैं. इसी कड़ी में बिहार ने अब नवीकरणीय ऊर्जा की तरफ अपना सार्थक प्रयास शुरू का है.
बिहार को अतिरिक्त ऊर्जा आपूर्ति का लाभ
इन दोनों परियोजनाओं के पूरा होने के बाद बिहार को अतिरिक्त ऊर्जा आपूर्ति का लाभ मिलने के साथ ही यह नवीकरणीय ऊर्जा दायित्व (रिन्यूएबल एनर्जी ऑब्लिगेशन) को पूरा करने में भी सहायक होगा. यह परियोजना हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाएगी. अक्षय ऊर्जा स्रोतों से बिजली उत्पादन बढ़ने से राज्य में कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी, जिससे जलवायु परिवर्तन से निपटने में सहायता मिलेगी.
241 मेगावाट ऑवर बैटरी ऊर्जा का भंडारण
इस परियोजना में 241 मेगावाट ऑवर बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली की स्थापना की जा रही है. यह परियोजना बिहार में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित होगी. राज्य को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक कदम आगे ले जाएगी.
कजरा सौर ऊर्जा परियोजना के पहले चरण में 185 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता का विकास हो रहा है. इसके साथ ही 254 मेगावाट आवर बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली की स्थापना की जा रही है. दूसरे चरण में 116 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता का विकास किया जा रहा है. साथ ही 241 मेगावाट आवर बैटरी ऊर्जा भंडारण का विकास होगा.
बैटरी क्षमता भंडारण का होगा विकास
इस परियोजना के माध्यम से बिहार की कुल बैटरी भंडारण क्षमता में अधिक वृद्धि होगी. इससे राज्य की ऊर्जा आपूर्ति अधिक स्थिर और प्रभावी बनेगी. रात के समय भी बिजली की निर्बाध आपूर्ति हो सकेगी. इसके विकसित होने से बिहार देश के उन अग्रणी राज्यों में शामिल होगा, जहां अत्याधुनिक बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है. यह प्रणाली देश की सबसे बड़ी बैटरी भंडारण प्रणाली होगी, जिससे बिहार को पीक समय में भी सस्ती और निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी. यह परियोजना नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देगी और पारंपरिक जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करेगी.
80:20 अनुपात में होगा यह विकसित
इस नए विस्तार परियोजना की कुल लागत 1055.72 करोड़ रुपए है, जबकि वर्तमान में क्रियान्वित कजरा सौर ऊर्जा परियोजना की कुल लागत 1810.34 करोड़ रुपया है. दोनों परियोजनाएं 80:20 वित्तीय मॉडल के तहत कार्यान्वित की जा रही हैं, जिसमें कुल लागत का 80 प्रतिशत विभिन्न वित्तीय संस्थानों से और शेष 20 प्रतिशत पूंजीगत निवेश के रूप में जुटाया जा रहा है.
1232 एकड़ भूमि की गई अधिकृत
कजरा सौर ऊर्जा परियोजना के लिए 1232 एकड़ भूमि अधिगृहित की गई है. कजरा प्रथम चरण परियोजना के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी मेसर्स लार्सन एंड टूब्रो (एलएंडटी) को सौंपी गई है. परियोजना कार्यान्वयन का कार्य तेजी से चल रहा है, जिसे इसी वर्ष पूरा करने का लक्ष्य है. कजरा में सौर ऊर्जा की दो बड़ी परियोजनाएं मुख्यमंत्री के स्तर पर परिकल्पित महत्वाकांक्षी ‘जल जीवन हरियाली अभियान को आगे बढ़ाते हुए सौर ऊर्जा उत्पादन की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होंगी.
रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे
इससे ऊर्जा उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ बिहार में रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे. निर्माण कार्य, रखरखाव और संचालन के लिए कुशल एवं अकुशल श्रमिकों को रोजगार मिलेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी काफी लाभ मिलेगा.