मुजफ्फरनगर। शासन की ऑडिट टीम ने भोजन के फर्जी बिलों का भी खुलासा किया है। प्रशासन ने तहसील सदर, बुढ़ाना और खतौली में भोजन के पैकेट पर 45 लाख से अधिक खर्च दिखाया है, जो पूरी तरह फर्जी पाया गया। सामाजिक संगठनों ने जो फूड पैकेट बांटे उन्हें प्रशासन ने अपने रिकार्ड में दिखा दिया।
प्रदेश के आंतरिक लेखा एवं लेखा परीक्षा के निदेशक संतोष अग्रवाल ने शासन को जो रिपोर्ट भेजी है, उसमें कोरोना के दौरान भोजन के पैकेट में 45 लाख का घोटाला सामने आया है। जिले की सामाजिक संस्थाओं ने गरीबों को जो भोजन के पैकेट वितरित किए प्रशासन ने उन पैकेटों का पैसा सरकार के खाते में जोड़ दिया। सदर तहसील में 33 लाख 76 हजार का फूड पैकेट का भुगतान फर्जी मिला है। बुढ़ाना में फूड पैकेट पर आठ लाख 76 हजार का खर्च दिखाया गया है। खतौली तहसील में बिना किचन के तीन लाख 31 हजार भोजन पर खर्च दिखाया है। प्रदेश की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार ने इस संबंध में दोषियों पर कार्रवाई के लिए कहा है। इसमें बड़ी बात यह है कि इस घोटाले में तीनों तहसीलों के तत्कालीन एसडीएम, एडीएम प्रशासन और डीएम तक घेरे में आ रहे हैं।
महाकाल लंगर सेवा बनी थी सहारा
शहर में जब कोरोना महामारी के चलते कर्फ्यू लगा था ऐसे में भूखे लोगों के रेलवे स्टेशन पर शाम को भोजन कराने वाली महाकाल लंगर सेवा बड़ा सहारा बनी। महाकाल लंगर सेवा के महेश बाठला का कहना है कि हमने प्रतिदिन 500 से अधिक लोगों को भोजन कराया।
35 संस्थाएं आई थीं सामने
कोरोना महामारी के दौरान गरीबों के घरों तक भोजन उपलब्ध कराने के लिए 35 संस्थाएं सामने आई थी। इन संस्थाओं से उस समय नगरपालिका से जुड़े बलजीत सिंह भोजन एकत्र करते थे और फिर उनका रेलवे स्टेशन, साईधाम मंदिर के सामने, मलिन बस्तियों आदि में वितरण करते थे। बलजीत का कहना है कि प्रशासन ने कभी भी कोई फूड पैकेट उन्हें वितरण के लिए नहीं दिया। जो भोजन वितरित हुआ उसमें सरकार के पैसे का एक भी पैकेट नहीं बंटा।