उपद्रवियों को सरकारी मदद !

इन दिनों राष्ट्रीय मीडिया संसद के हंगामे, किसानों की समानान्तर संसद, ममता बनर्जी का पांच दिनों का दिल्ली दौरा, राज कुंद्रा की अश्लील फिल्म, गहलोत-सचिन पायलट की खींचतान तथा पहाड़ों पर बारिश के कहर की खबरें प्रमुखता से पेश कर रहा है। खेद है खुद को चौथा स्तंभ बताने वाले राष्ट्रीय मीडिया, विशेषत: इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने देश की अखंडता, सम्मान, राष्ट्रीय एकता एवं देश की सार्वभौमिकता से जुड़े मुद्दों की अवहेलना कर 26 जनवरी को लाल किले पर आतंक मचाने वाले तथा राष्ट्रीय ध्वज का अपमान कर देश को शर्मसार करने वाले लोगों को सरकारी मदद पहुंचाने के समाचार का पूरी तरह ब्लैक आउट कर दिया।

ज्ञातव्य है कि शुक्रवार को पंजाब की कांग्रेस सरकार ने ऐलान किया है कि लाल किला कांड में दिल्ली पुलिस ने जिन उपद्रवियों के विरुद्ध मुकदमे कायम किये हैं, उनके मुकदमों का खर्च अमरिंदर सरकार उठायेगी। इसी के साथ किसान आंदोलन के दौरान जो लोग मर गए हैं, उनके परिजनों को पांच-पांच लाख रूपये और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी।

यह विडंबना है कि किसान आंदोलन में एक भी किसान पुलिस की लाठी गोली से नहीं मरा इसके विपरीत गणतंत्र दिवस पर 510 पुलिसजन उपद्रवी तत्वों के हमलों में घायल हुये, जिनमें महिला पुलिसकर्मी भी थीं। आई.टी.ओ चौक पर क्या हुआ इसे पूरे देश ने देखा। लाल किले पर कैसे पुलिस कर्मियों को 20 फीट नीचे खाई में फेंका गया, वे दृश्य आज भी लोगों को याद है। एस.एच.ओ का हाथ कैसे काटा गया, इसे लोग भूले नहीं हैं।

कांग्रेस पहले से ही जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के समर्थकों व अलगाववादियों को मदद पहुंचाती आई है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार ने सिमी के आतंकवादियों से मुकदमें हटाने की कोशिश की थी। जिस प्रकार दारुल उलूम आतंकियों के पकड़े जाने पर उनके मुकदमों का खर्च उठाता है ऐसा ही काम पंजाब में कांग्रेस, अकाली व आप पार्टी कर रही है। देश की अस्मिता को ललकारने वाले और देश को गृह युद्ध की ओर धकलने वालों से सहानुभूति रखने वालों का असली चेहरा सामने आ गया है। कोरोना, पाकिस्तान और चीन की आपदाओं के बीच वोट की खातिर जो करतूतें की जा रही है, उनका परिणाम इनको अवश्य भुगतना पड़ेगा।

गोविंद वर्मा
संपादक देहात

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