किसानों की मांगों को लेकर खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल एक नौजवान से मिलकर भावुक हो गए। शुक्रवार को किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन को 74 दिन पूरे हो गए हैं। डल्लेवाल से एक नौजवान मिलने पहुंचा और उनसे लिपट गया। यह नौजवान और कोई नहीं बल्कि किसान नेता डल्लेवाल का पोता है। उनका पोता भी अपने दादा से मिलकर भावुक हो गया। इस मौके पर डल्लेवाल खुश होने के साथ काफी भावुक हो गए। उनका पोता अपने दादा से मिलने के लिए खनौरी बॉर्डर पर आता रहता है।
खनौरी में 12 और शंभू बॉर्डर पर 13 फरवरी को होने वाले महापंचायतों के लिए तैयारियां पूरे जोर-शोर से चल रही हैं। पंजाब के विभिन्न कोनों से किसानों के काफिले बॉर्डरों पर पहुंचना शुरू हो गए हैं। इसी बीच किसान नेता सरवण सिंह पंधेर ने केंद्र सरकार को चेताते कहा है कि मोदी सरकार इस भ्रम में न रहे कि आंदोलन लंबा चला, तो ठंडा पड़ जाएगा। केंद्र सरकार यह जान ले कि आंदोलन के साथ लगातार बड़ी गिनती में किसान जुड़ रहे हैं। किसानों में उत्साह है और वे एकस्वर में यही कह रहे हैं कि इस आंदोलन को जितवाकर ही घरों के लिए वापसी करेंगे।
मंडियों का निजीकरण नहीं करने देंगे
इस मौके पर पंधेर ने किसानों को बॉर्डरों पर होने वाली महापंचायतों में बड़ी संख्या में पहुंचने की अपील की। उन्होंने कहा कि किसानों की एकजुटता ही केंद्र पर मांगें मानने के लिए दबाव डाल सकती है। पंधेर ने साफ किया कि केंद्र की ओर से किसी भी हालत में मंडियों का निजीकरण करने नहीं दिया जाएगा। एमएसपी की कानूनी गारंटी समेत किसान अपनी बाकी की मांगों को मनवाकर ही रहेंगे।
गांवों का दौरा कर किसानों को दिया महापंचायत का न्योता
उधर 11 फरवरी को रत्नपुरा मोर्चे पर आयोजित महापंचायत की तैयारी के लिए किसान नेताओं की टीम ने पीर कांवड़ियां, सुरेवाला, नाईवाला, कुलचंद्र, साहरनी, खाराखेड़ा, गुड़िया, तंदुरवाली, बशीर, साबुआना गांवों का दौरा कर किसानों को महापंचायत में पहुंचने का न्योता दिया। आज भारतीय किसान यूनियन की पंजाब इकाई के पदाधिकारियों ने किसान मोर्चे पर पहुंचकर आंदोलन को समर्थन दिया।
शनिवार को हरियाणा से पवित्र जल यात्रा के तहत तीसरे चरण में 50 से अधिक गांवों का जत्था अपने खेतों के ट्यूबवेलों से जल लेकर दातासिंहवाला-खनौरी किसान मोर्चे पर पहुंचेगा। किसान नेताओं ने बताया कि हरियाणा के किसानों की भावना है कि डल्लेवाल जिन खेतों को बचाने के लिए अनशन कर रहे हैं, उन्हें उन्हीं खेतों के ट्यूबवेलों का जल ग्रहण करना चाहिए।