शान्त, गम्भीर, उत्कट जिजीविषा से लबरेज, साहित्य के मौन साधक भाई हरपाल सिंह ‘अरुष’ 30 मार्च को अनन्त यात्रा को प्रस्थान कर गये। अरुष जी यद्यपि बागपत जिले के लूम्ब ग्राम के निवासी थे किन्तु उन्हें शिक्षा विभाग से रिटायरमेंट के बाद गुजफ्फरनगर में रहना रास आया।
अरुष जी से मेरी प्रथम भेंट नगरपालिका परिषद के पूर्व चेयरमैन स्व. लक्ष्मीचन्द सिंघल के आदर्श कॉलोनी स्थित विद्यालय में आयोजित एक गोष्ठी में पन्द्रह वर्ष पूर्व हुई थी। बाद में साहित्यकार डॉ. पुष्पलताजी के आवास पर गोष्ठी में भेंट हुई। फोन पर कभी कभी साहित्य एवं समसामयिक विषयों पर बात हो जाती थी। दलित पिछड़े- उपेक्षित तबके प्रति अरुषजी के उदारभाव से मैं बहुत प्रभावित रहा तथापि उनके रचना संसार में समाज की परिस्थितियों और घटनाओं का ईमानदारी से आकलन किया गया है।
मेरे छोटे भाई राजगोपाल सिंह वर्मा और अरुणजी का आत्मीय संबंध रहा। अपनी सद्य प्रकाशित पुस्तक ‘किंगमेकर्स’ उन्होंने मुझे और अरुष जी को समर्पित की है। जब यह पुस्तक आई, तब वे अस्पताल में थे। कैंसर सारे शरीर में फैल चुका था। पढ़ने व कुछ लिखने की स्थिति नहीं थी। ऐसी जिजीविषा कि हाथ में पुस्तक लेकर फोटो खिंचाया!
अरूष जी का जाना साहित्य जगत की बड़ी क्षति है। ‘देहात परिवार’ की हार्दिक श्रद्धांजलि।
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’