हरियाणा की निचली अदालतों में चालक के पद के लिए लिखित परीक्षा में आज कुछ परीक्षार्थियों को प्रवेश पत्र होने के बावजूद नहीं बैठने दिया गया।
वकील प्रदीप रापड़यिा ने इस संबंध में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के सतर्कता पंजीकार व उच्च न्यायालय के महा पंजीकार को पत्र लिखकर शिकायत की है।
रापड़यिा ने लिखा है कि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय (सोसायटी फॉर सेंटरलाइज्ड रिक्रुटमेंट ऑफ स्टाफ इन सबऑडीर्नेट कोर्ट्स) की तरफ से यह लिखित परीक्षा आज सुबह साढ़े 8 बजे होनी थी और उनके मुवक्किलों का परीक्षा स्थल सेंट सोल्जर इंटरनेशनल स्कूल (सेक्टर 28-ब) में था। उनके मुवक्किलों को परीक्षास्थल के अंदर इस आधार पर प्रवेश नहीं करने दिया गया कि उन्होंने कोविड-19 टीकाकरण के दोनों डोज़ नहीं लिए जबकि उनके पास प्रवेश पत्र था।
रापड़यिा के अनुसार इन्होंने टीकाकरण का एक डोज लिया हुआ था और जारी प्रवेश कार्ड में ऐसी कोई पूर्वशर्त भी नहीं थी कि लिखित परीक्षा से पहले टीकाकरण के दोनों डोज लिए हुए होने चाहिए।
कोविड-19 महामारी को देखते हुए प्रत्याशियों के लिए निर्देशों में मास्क (एन95/3 लेयर मास्क) पहनना, एक स्वघोषित फॉर्म साथ होना, चाहें तो फेस शील्ड पहनना, पारदर्शी बोतल में अपना हैंड सैनिटाइजर लाना, “सोशल डिस्टेंसिंग“ और स्वच्छता का पालन करना शामिल थीं।
रापड़यिा के अनुसार उनके मुवक्किलों ने इन निर्देशों का पूरी तरह पालन किया था। अलावा इसके वैक्सीनेशन के दो डोज के बीच एक निश्चित अवधि का आवश्यक अंतराल होता है और उनके मुवक्किलों को टीके के दूसरे डोज के लिए तारीखें मिली हुई थीं। उनके मुवक्किल अपने आप यह तय नहीं कर सकते कि वह दूसरा डोज़ कब लेंगे और यह सक्षम विशेषज्ञ अधिकारी ही तय करते हैं। इसके अलावा ऐसा कोई कानून नहीं है जो नागरिकों के लिए टीकाकरण को अनिवार्य मानता हो।
रापड़यिा ने पत्र में प्रक्रिया में “गंभीर कुव्यवस्था“ और “भ्रष्टाचार“ की तरफ इशारा करते हुए यह भी कहा है कि उनके मुवक्किलों ने देखा एक हजार से दो हजार रुपये लेकर प्रत्याशियों को स्थल पर ही आरटीपीसीआर व टीकाकरण प्रमाणपत्र दिए जा रहे थे और कुछ प्रत्याशियों को पूर्ण टीकाकरण की शर्त पर जोर दिए बिना परीक्षा स्थल में प्रवेश किया जा रहा था।
रापड़यिा ने बताया कि उनके मुवक्किल ने मोबइल से पुलिस हेल्पलाइन पर फोन किया और पुलिस घटनास्थल पर आई लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।