गुरुग्राम। आंखों में जलन, गले में खराश और घरों से बाहर निकलना मुश्किल—गुरुग्राम एक बार फिर प्रदूषण की गिरफ्त में है। बुधवार को शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 223 तक पहुंच गया, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है। हर साल की तरह इस बार भी प्रशासन ने ‘ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP)’ लागू किया है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसके नियमों की अनदेखी साफ दिख रही है।
प्रदूषण नियंत्रण के उपाय बने औपचारिकता
सड़क पर पानी का छिड़काव, निर्माण कार्यों पर अस्थायी रोक और जुर्माने की कार्रवाई को ही उपाय मान लिया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण की असली वजह शहर की अव्यवस्थित सफाई व्यवस्था, खुले में जलाया जा रहा कचरा, निर्माण स्थलों पर उड़ती धूल और सीएंडडी वेस्ट का बेतरतीब ढेर है।
नगर निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के बीच समन्वय की कमी और योजनाओं का केवल कागजों में सीमित रह जाना स्थिति को और खराब बना रहा है।
कूड़ा निस्तारण में भारी लापरवाही
नगर निगम के आंकड़े बताते हैं कि शहर का केवल 70 प्रतिशत कचरा ही नियमित रूप से उठाया जाता है। बाकी 30 प्रतिशत कचरा सड़कों, नालों और खाली प्लॉटों में फेंक दिया जाता है। खुले में जलाए जा रहे प्लास्टिक और घरेलू कचरे से हवा में जहरीले तत्व घुल रहे हैं।
धूल नियंत्रण में फेल सफाई व्यवस्था
गुरुग्राम में तैनात 16 मैकेनिकल स्वीपिंग मशीनों में से कई खराब पड़ी हैं या सिर्फ दिखावे के लिए चलाई जा रही हैं। सड़क किनारे उड़ती धूल और टूटे फुटपाथ शहर को स्थायी प्रदूषण का केंद्र बना चुके हैं।
सिर्फ मुख्य सड़कों तक सीमित पानी का छिड़काव
ग्रेप लागू होते ही टैंकरों से पानी का छिड़काव शुरू कर दिया जाता है, लेकिन यह व्यवस्था केवल मुख्य मार्गों तक सीमित है। कॉलोनियों और औद्योगिक इलाकों में शायद ही कभी छिड़काव होता हो। विशेषज्ञों का कहना है कि यह उपाय केवल अस्थायी राहत देता है, समाधान नहीं।
निर्माण स्थलों पर उड़ती धूल, नियमों की अनदेखी
500 वर्ग मीटर से बड़े निर्माण स्थलों का पंजीकरण और एंटी-स्मॉग उपकरण लगाना अनिवार्य है, लेकिन शहर में अधिकांश बिल्डर इस नियम का पालन नहीं कर रहे। खुले में पड़ी निर्माण सामग्री से लगातार धूल उड़ रही है।
बंधवाड़ी लैंडफिल बना सबसे बड़ा प्रदूषण स्रोत
बंधवाड़ी डंपिंग साइट पर करीब 14 लाख टन कूड़ा सड़ रहा है, जिससे जहरीली गैसें वातावरण में घुल रही हैं। कचरा निस्तारण का काम फिलहाल रुका हुआ है और नया टेंडर जारी होने में देरी प्रदूषण को और बढ़ा रही है।
एंटी-स्मॉग गन का इंतजार जारी
नगर निगम को दो महीने पहले 10 करोड़ रुपये का बजट एंटी-स्मॉग गन खरीदने के लिए जारी हुआ था, लेकिन अब तक टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई। परिणामस्वरूप प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है और योजनाएं फाइलों में अटकी हैं।
निगरानी व्यवस्था कमजोर
करीब 40 लाख आबादी वाले शहर में सिर्फ चार प्रदूषण मापक यंत्र लगे हैं, जिससे प्रदूषण नियंत्रण की सटीक रणनीति बनाना मुश्किल है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक सफाई एजेंसियों की जवाबदेही तय नहीं होगी और शहर के हर जोन में निगरानी स्टेशन नहीं लगेंगे, तब तक गुरुग्राम को गैस चैंबर बनने से कोई नहीं रोक सकता।