निःसंदेह 5 सितंबर 2021 को मुजफ्फरनगर में बड़े किसानों की महापंचायत में विशाल भीड़ जुटी। कुछ पत्रकारों ने इस भीड़ को किसान कुंभ बताया, जो एकदम सही आकलन है। महापंचायत के मकसद और उसके फलितार्थों पर यहां हम चर्चा नहीं कर रहे हैं। हम लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के उन ठेकेदारों से पूछना चाहते हैं, जिन्होंने निष्पक्ष पत्रकारिता का अहद ले रखा है, वे बतायें महिला पत्रकार तथा महिला सोशल एक्टिविस्ट के साथ किये गए दुर्व्यवहार से आंखें क्यूं मूंद ली? जिस चैनल ने मीडिया को बाज़ार का बिकाऊ माल बना दिया है और जो तथ्यों को मनमर्जी से तोड़-मरोड़ कर पेश करने का माहिर है, महापंचायत में महिला पत्रकार से की गई अभद्रता की शर्मनाक घटना पर अंधा-बहरा-गूंगा क्यूं हो गया? इस महिला पत्रकार से की गई अभद्रता तथा किसान मोर्चा का निरंतर ढोल पीटने वाली महिला शूटर को जिस शर्मनाक तरीके से मंच से नीचे उतारा गया, ये सारे दृश्य कैमरे में कैद हैं और इन बेहुदियों की खबरें स्थानीय, क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय समाचार पत्रों ने प्रमुखता से प्रकाशित की हैं, जिन्हें कोई भी कभी भी देख और पढ़ सकता है तो जिस चैनल की एंकर के साथ दुर्व्यवहार हुआ वह किस कारण अंधा-बहरा-गूंगा हो गया है? क्या मुंह खावे, आंख लजावे वाली बात है?
गोविंद वर्मा
संपादक देहात