योग गुरु को स्वास्थ्य मंत्री का पत्र

समाचार है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने योग गुरु रामदेव को पत्र लिख कर आग्रह किया कि वे कोरोना के इलाज के संदर्भ में एलोपैथी और एलोपैथिक चिकित्सकों के विषय में की गई अति आपत्तिजनक टिपनी को वापस लें। डॉ. हर्षवर्धन ने योग गुरु को याद दिलाया कि कैसे देशभर में चिकित्सक एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मी दिन-रात कोरोना से लड़ रहे हैं और कोरोना से लाखों लोगों की जान बचाई है। आपके (योग गुरु की) के कथन से कोरोना योद्धाओं के मनोबल को ठेस लगी है।

स्वास्थ्य मंत्री ने स्वामी रामदेव को और भी बहुत कुछ लिखा है जिसका लुब्बेलुबाब (सार संक्षेप) यही है कि कोरोना नियंत्रण में एलोपैथी और उसके चिकित्सकों के योगदान को कदापि नकारा नहीं जा सकता।

डॉ. हर्षवर्धन ने अपनी चिट्ठी में जो कुछ कहा है वह सौ फीसद सही है। जो तथ्य स्वयं सिद्ध है उन पर तर्क वितर्क की आवश्यकता ही कहां है? नि:संदेह योग एवं आयुर्वेद स्वास्थ्य की बेहतरी व रक्षा के लिए अति उपयोगी है और उनका व्यापक उपयोग होना ही चाहिये। नि:संदेह स्वामी रामदेव ने योग एवं आयुर्वेद का डंका दुनिया भर में बजाया जिससे करोड़ों लोग लाभान्वित हो रहे हैं। इसके लिये योग गुरु प्रशंसा के पात्र हैं। किंतु इसका अर्थ यह नहीं कि आप एलोपैथिक चिकित्सकों को नकार दें या उन पर मिथ्या आरोप लगायें। पूरा देश जानता है कि कोरोना रूपी दैत्य का सामना करते हुए अनेक चिकित्सक, नर्सों, स्वास्थ्य कर्मियों ने अपने कर्तव्य की बलिवेदी पर अपने प्राणों की आहुति दी है। समस्त राष्ट्र उनका ऋणी रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तभी अग्रिम पंक्ति के योद्धा मान कर सराहा है।

योग गुरु कि देश में प्रतिष्ठा है और करोड़ों लोग उनकी बातों को आदर, विश्वास के साथ सुनते हैं। यह माना कि आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार में उन्होंने विलक्षण कार्य किया किंतु तुम जैसे व्यक्ति से संतुलित विचारों की अपेक्षा की जाती है। आयुर्वेद अथवा योग की महत्ता का बखान करते समय अन्य चिकित्सा पद्धतियों की निन्दा करने या डॉक्टरों को कोसने का औचित्य नहीं है। इससे उन लोगों की धारणा को बल मिलता है कि आप योग गुरु नहीं अपितु आयुर्वेद औषधियां बेचने वाले कुशल व्यापारी हैं। बेहतर है कि स्वामी रामदेव स्वास्थ्य मंत्री की सलाह मान अपना कथन वापस लें और कोरोना से लड़ रहे योद्धाओं को साधुवाद दें।

गोविंद वर्मा
संपादक देहात

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