5 मई 2025 को विश्व हाथ स्वच्छता दिवस के अवसर पर दिल्ली सोसाइटी फॉर प्रमोशन ऑफ रैशनल यूज ऑफ ड्रग्स (DSPRUD) ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग के सहयोग से एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में दिल्ली के 350 से अधिक स्कूल शिक्षकों को हाथ स्वच्छता के महत्व के बारे में बताया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य स्कूलों और समुदायों में संक्रमण से बचाव के लिए हाथ स्वच्छता को बढ़ावा देना था।
इंफेक्शन कंट्रोल एकेडमी ऑफ इंडिया (IFCAI) के अध्यक्ष और हैदराबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. रंगा रेड्डी बुरी ने कहा कि शिक्षक समाज के लिए रोल मॉडल होते हैं और वे बच्चों में हाथ स्वच्छता की आदतें फैलाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
हैंड हाइजीन क्या है?
हैंड हाइजीन का मतलब है हाथों को स्वच्छ रखना और उन्हें बैक्टीरिया, वायरस और अन्य रोगाणुओं से मुक्त रखना। हाथों की स्वच्छता के लिए साबुन और पानी का उपयोग सबसे प्रभावी तरीका है। इससे कई बीमारियों से बचाव संभव है, जैसे डायरिया, फ्लू और अन्य संक्रमण। कोरोना काल में भी इस पर विशेष जोर दिया गया था।
लोक नायक अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. रविंद्र अग्रवाल ने स्कूलों और समुदायों में संक्रमण नियंत्रण पर चर्चा की। उन्होंने कैंटीन, शौचालय, पानी के कूलर और कचरे के स्थानों जैसे जोखिमपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान देने की बात की और स्कूल स्तर पर स्वच्छता प्रैक्टिसेज को आवश्यक बताया।
DSPRUD की अध्यक्ष डॉ. संगीता शर्मा ने कहा, “संक्रमण नियंत्रण और टीबी की रोकथाम सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी हैं। शिक्षकों और छात्रों को जागरूक करना सरकार के टीबी उन्मूलन के उद्देश्य को प्राप्त करने में मदद करेगा।”
DSPRUD के उपाध्यक्ष डॉ. के.एस. सचदेवा ने स्कूलों और समुदायों में टीबी के संक्रमण से बचाव पर एक सत्र लिया। उन्होंने टीबी के शुरुआती लक्षणों की पहचान, संपर्क ट्रेसिंग, इलाज का पालन और दवा प्रतिरोधी टीबी से बचाव पर जोर दिया।