भारत से विशेष लगाव रखने वाले और भारत की स्वतंत्रा पर आधारित पुस्तक ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ एवं कलकत्ता (कोलकाता) के रिक्शा चालक पर ‘सिटी ऑफ जॉय’ जैसी कालजयी रचनाओं के लेखक डोमिनिक लैपियर का 91 वर्ष की आयु में पेरिस में निधन हो गया। लैपियर का जन्म 31 जुलाई, 1931 को फ्रांस के चेटिलेलियां शहर में हुआ था। उनकी सबसे चर्चित पुस्तक ‘इज पेरिस बर्निंग’ 1965 में आई। उनके चर्चित पुस्तकों पर कई फिल्में भी बनी है। सैपियर की 6 चर्चित पुस्तकों की 5 करोड़ प्रतियों का बिकना उनकी लेखनी के चमत्कार को दर्शाता है।
कलम के धनी इस संवेदनशील लेखक की महानता उनकी पुस्तकों की 5 करोड़ प्रतियां बिकने से नहीं झलकती, वरन् इस तथ्य से सिद्ध होती है कि लैपियर ने अपनी पुस्तकों की कमाई को भारत के टी.बी. पीड़ितों और कुष्ट रोगियों के इलाज पर खर्च किया। लैपियर की निःस्वार्थ सेवा से दस लाख लोगों का इलाज सम्भव हुआ और कुष्ठ से पीड़ित 9000 बच्चों की रक्षा हुई। लैपियर की सेवा भावना को दृष्टिगत करते हुए भारत सरकार ने 2008 में उन्हें ‘पद्मभूषण’ से नवाजा था।
किसी भी देश की संस्कृति, सभ्यता, कला वहाँ के पीड़ित समाज के उत्थान में साहित्यकारों, लेखकों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है, फिर चाहे वे लेखक देश के हों या विदेश के हों। ऐसे महान व उदार कलमकारों का समाज को कृतज्ञ होना चाहिए।
भारत प्रेमी अंतर्राष्ट्रीय लेखक डोमिनिक लैपियर को हमारी हार्दिक श्रद्धांजलि !
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’