पंजाब कांग्रेस की अंतर्कलह पर आलाकमान का फैसला जल्‍द, पार्टी के कदम को लेकर सस्‍पेंस बढ़ा

पंजाब कांग्रेस में मचा घमासान शांत करने में निजी दिलचस्पी ले रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मामले में अपना होमवर्क पूरा कर लिया है। उन्होंने पंजाब कांग्रेस के विधायकों, मंत्रियों और कई वरिष्ठ नेताओं से फोन पर व्यक्तिगत तौर पर फीडबैक लिया है और आलाकमान की तीन सदस्यीय समिति से भी जानकारी हासिल की है। अब राहुल जल्द ही अपना होमवर्क पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ साझा करेंगे और पंजाब कांग्रेस के विवाद की असल वजह और उसके हल के लिए अपनी राय देंगे।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस मामले में राहुल गांधी का रवैया पहले से ही काफी नरम रहा है और वे किसी भी नेता के खिलाफ कोई सख्त कदम उठाने के बजाय उनसे बातचीत कर पार्टी से जोड़े रखने के पक्ष में हैं। आलाकमान की तीन सदस्यीय समिति ने नाराज नेताओं की संख्या मात्र 20 बताते हुए विवाद को खारिज कर दिया है। 

खुलकर सार्वजनिक मंचों पर नहीं आ रहे अनेक विधायक और मंत्रियों ने राहुल गांधी को पंजाब सरकार की जनता के प्रति वादाखिलाफी, बेअदबी व कोटकपूरा फायरिंग मामले में कार्रवाई न करने के कारण पार्टी की किरकिरी के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह को ही जिम्मेदार ठहराया है। ज्यादातर विधायकों-मंत्रियों ने राहुल गांधी से आग्रह किया है कि वे कैप्टन पर दबाव बनाएं ताकि बादल परिवार से उनकी नजदीकी का खामियाजा पार्टी को न भुगतना पड़े।

सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी अब जल्द सोनिया गांधी से मिलेंगे और विवाद के निपटारे के लिए पंजाब कांग्रेस के पुनर्गठन पर ज्यादा जोर देंगे। इससे एक तो नाराज नेताओं की नाराजगी कुछ हद तक दूर होगी और दूसरे वे कैप्टन के साथ मिलकर रणनीति अनुसार चुनाव की तैयारी में जुटेंगे।

वहीं पंजाब कांग्रेस का विवाद सुलझाने के लिए विधायक नवजोत सिंह सिद्धू को उपमुख्यमंत्री का पद देने की अटकलों पर विराम लग गया है। सूत्रों के अनुसार, नवजोत सिद्धू पहले पार्टी हाईकमान और फिर तीन सदस्यीय कमेटी को साफ कर आए हैं कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के अधीन किसी भी पद पर काम करना असंभव है। सूत्रों से पता चला है कि सिद्धू जब तीन सदस्यीय कमेटी के सामने पेश हुए तो उन्होंने मुख्यमंत्री कैप्टन का कच्चा-चिट्ठा ही नहीं खोला, बल्कि पंजाब में अफसरशाही द्वारा सरकार चलाए जाने के भी अनेक उदाहरण पेश करते हुए कई अफसरों तक के नाम गिना डाले, जो सीधे तौर पर सरकार चला रहे हैं।

उन्होंने कमेटी को यह भी बताया था कि पंजाब में कांग्रेस विधायकों, नेताओं और कार्यकर्ताओं की सरकार में कोई सुनवाई नहीं है। राज्य में इस समय भी बादल परिवार का ही राज चल रहा है और उनकी सुविधा के अनुसार ही कैप्टन सरकार फैसले ले रही है। 

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