2022 में सुनाई गईं सबसे ज्यादा सजा-ए-मौत, दो दशक में ऐसे बढ़ा फांसी का ग्राफ

बीते साल 2022 में देश भर की निचली अदालतों ने 165 लोगों को मौत की सजा सुनाई है। निचली अदालतों द्वारा एक साल में मौत की सजा सुनाने का ये आंकड़ा  पिछले दो दशकों में सबसे ज्यादा है। एक रिपोर्ट में इसका दावा किया गया है। गौरतलब है कि इससे पहले साल 2021 में यह आंकड़ा 146 था। रिपोर्ट में एक और बात चौंकाने वाली है, वह यह कि बीते साल निचली अदालतों ने जिन 165 लोगों को फांसी की सजा सुनाई है उनमें से हर तीसरा शख्स यौन अपराधों से जुड़ा हुआ है।  

नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (एनएलयू) के प्रोजेक्ट 39ए ने डेथ पेनल्टी इन इंडिया, एनुअल स्टैटिस्टिक्स रिपोर्ट, 2022′ शीर्षक वाली एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में यह तमाम खुलासे हुए हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 के बाद से 2022 तक मौत की सजा के पाने वाले कैदियों की संख्या में 40 फीसदी की वृद्धि देखी गई है। 2022 के अंत तक 539 कैदी ऐसे थे जिन्हें मौत की सजा सुनाई जा चुकी थी। 

रिपोर्ट में कहा गया है, निचली अदालतों की ओर से दी जाने वाली मौत की सजा और उच्च अपीलीय अदालतों में ऐसे मामलों की सुनवाई में देरी के कारण यह संख्या बढ़ रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते साल मौत की सजा पाने वाले 50 फीसदी से अधिक (51.28 फीसदी) मामले यौन अपराधों से संबंधित हैं।

‘डेथ पेनल्टी इन इंडिया, एनुअल स्टैटिस्टिक्स रिपोर्ट, 2022’ के मुताबिक, बीते साल 2022 में सबसे ज्यादा मौत की सजा अहमदाबाद में एक बम विस्फोट मामले में दी गई थीं। इस मामले में निचली अदालत ने 38 लोगों को मौत सुनाई थी। साल 2016 के बाद से एक ही मामले में इतने लोगों को मौत की सजा देने का यह इकलौता मामला था। इस मामले के कारण ही साल 2022 में मौत की सजा पाने वाले लोगों की संख्या में अभूतपूर्व बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।  

गौरतलब है कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट की ओर से फांसी की सजा दिए जाने को लेकर  कुछ दिशा निर्देश जारी किए थे। शीर्ष कोर्ट ने कहा था कि फांसी की सजा देने से पहले ट्रायल कोर्ट को यह देखना चाहिए कि अपराध किन परिस्थितियों में हुआ है। साथ ही इस पर भी गौर करना चाहिए कि अपराधी की पृष्ठभूमि कैसी है। 

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