हिमाचल: बजट में दूध पर एमएसपी बढ़ाई, मनरेगा मजदूर को भी मिलेंगे ज्यादा पैसे

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य का वार्षिक बजट विधानसभा में पेश किया. ये बजट वित्त वर्ष 2025-26 के लिए पेश किया गया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कम चर्चित पर्यटन स्थलों को लोकप्रिय बनाने के अलावा धार्मिक और पर्यावरण के अनुकूल पर्यटन को बढ़ावा देगी. उन्होंने कहा कि ये साल वित्तीय चुनौतियों से भरा है, क्योंकि राजस्व घाटा अनुदान कम कर दिया गया है. जीएसटी मुआवजा रोक दिया गया है. धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने और कम चर्चित पर्यटन स्थलों को लोकप्रिय बनाने पर जोर दिया रहा है.

इसके अलावा चाय बागानों को पर्यावरण के अनुकूल स्थानों के रूप में विकसित किया जाएगा. उन्होंने बताया कि राज्य की लोन देनदारी बढ़कर 1,04,729 करोड़ रुपये हो गई है, जिसमें 29,046 लाख रुपये मौजूदा सरकार ने लिए हैं. उन्होंने कहा कि पिछले दो सालों में लिए गए लोन का 70 प्रतिशत पिछली सरकार के कर्ज और उसके ब्याज को चुकाने पर खर्च किया गया.

दूध पर कितनी बढ़ाई एमएसपी?

ऐसे में विकास गतिविधियों पर केवल 8,093 रुपये खर्च किए गए. उन्होंने गाय के दूध के न्यूनतम समर्थन मूल्य में छह रुपये की बढ़ोतरी कर इसे 45 रुपये से 51 रुपये प्रति लीटर और भैंस के दूध के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 55 रुपये से बढ़ाकर 61 रुपये प्रति लीटर करने की घोषणा की.

सुक्खू ने कहा कि 2025-26 में एक लाख किसानों को प्राकृतिक खेती के तहत लाने का लक्ष्य रखा गया है. अबतक लगभग 1.58 लाख किसान प्राकृतिक खेती को अपना चुके हैं. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक रूप से कच्ची हल्दी उगाने वाले किसानों को 90 रुपये प्रति किलोग्राम का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा. राज्य सरकार हमीरपुर में मसाला पार्क स्थापित करने की योजना बना रही है.

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून के तहत लगे श्रमिकों की दैनिक मजदूरी 20 रुपये बढ़ाकर 300 रुपये से 320 रुपये प्रतिदिन की गई है. हिमाचल प्रदेश में नशे की लत से निपटने के लिए मुख्यमंत्री ने विशेष कार्यबल (एसटीएफ) के गठन की घोषणा भी की. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून के तहत श्रमिकों की दैनिक मजदूरी 300 रुपये से बढ़ाकर 320 रुपये प्रतिदिन की गई.

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