इंदौर में हुए चर्चित राजा रघुवंशी हत्याकांड ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। इस घटना को लेकर जबलपुर जिले के बेलखेड़ा में आयोजित लाड़ली बहना कार्यक्रम के मंच से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने समाज और संस्कृति को लेकर भावुक और गंभीर विचार साझा किए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी घटनाएं समाज की मूलभूत मान्यताओं और पारिवारिक मूल्यों पर गहरा प्रहार करती हैं। उन्होंने चिंता जताई कि आजकल लोग विवाह करने से घबरा रहे हैं, जबकि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो एक-दो नहीं बल्कि 10-10 विवाह कर रहे हैं। उन्होंने भारतीय विवाह प्रणाली को सात जन्मों का पवित्र बंधन बताया और कहा कि यहां विवाह केवल एक सामाजिक करार नहीं, बल्कि संस्कृति का सार है।
“भारतीय माताएं-बहनें परिवार की रीढ़”
सीएम ने भारतीय महिलाओं की सहनशीलता और परिवार के प्रति समर्पण को रेखांकित करते हुए कहा कि हमारे यहां मां और बहनें खुद को दांव पर लगाकर अपने बच्चों और परिवार का भविष्य संवारती हैं। वे हर दुख को खुद सहती हैं, लेकिन परिवार के प्रत्येक सदस्य के सुख की कामना करती हैं। ऐसी भावना और कहीं नहीं देखने को मिलती।
“शादी से भी डरने लगे हैं लोग”
मुख्यमंत्री ने कहा, “आज हालात ऐसे हो गए हैं कि लोग विवाह से भी डरने लगे हैं। लेकिन कुछ लोग इस पवित्र संस्था का मजाक बनाकर अनेक विवाह करते हैं। हमारी संस्कृति सती सावित्री, सती अनुसूया और मां नर्मदा जैसी पवित्र परंपराओं से जुड़ी है।”
“भारत माता की जय की परंपरा दुनिया में अद्वितीय”
डॉ. यादव ने भारतीय संस्कृति की विशिष्टता पर बल देते हुए कहा कि विश्व के किसी अन्य देश में ‘माता’ के रूप में राष्ट्र को संबोधित नहीं किया जाता। उन्होंने कहा, “दुनिया में कोई ‘अमेरिका माता की जय’ या ‘इंग्लैंड माता की जय’ नहीं कहता, लेकिन हमारे देश में ‘भारत माता की जय’ कहने पर जो आत्मिक अनुभूति होती है, वह अद्वितीय है।”
“ईश्वर का अनुभव मातृशक्ति से”
मुख्यमंत्री ने कहा कि देवी-देवताओं का प्रत्यक्ष दर्शन भले ही न हो, लेकिन जब हम अपनी मां-बहनों को देखते हैं, तो लगता है जैसे उनके आशीर्वाद से ईश्वर का अनुभव हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की विवाह परंपरा केवल दो लोगों का मिलन नहीं, बल्कि जीवन भर का संस्कार है।
“समाज करे आत्मचिंतन”
राजा रघुवंशी की हत्या की पृष्ठभूमि में मुख्यमंत्री ने समाज से आत्ममंथन करने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के अपराध हमारे सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करते हैं। इसलिए हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत, पारिवारिक मूल्यों और नारी शक्ति के सम्मान को और अधिक सुदृढ़ करना होगा।
मुख्यमंत्री का यह संबोधन केवल एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि समाज और संस्कृति को सजग करने का प्रयास था, जिसमें उन्होंने भारतीय परंपराओं की मजबूती पर बल दिया और समाज से जागरूकता और आत्मविश्लेषण की अपील की।