इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रविवार को दावा किया कि ईरान के इस्लामी शासन ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अपने परमाणु कार्यक्रम के लिए सबसे बड़ा खतरा माना और उन्हें निशाना बनाने की दो बार कोशिश की। उन्होंने ट्रंप को ईरान का “दुश्मन नंबर एक” बताया।
फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में नेतन्याहू ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान से सख्ती के साथ निपटने की नीति अपनाई थी और कभी समझौतावादी रवैया नहीं दिखाया। यही वजह रही कि ईरान उन्हें खत्म करना चाहता था। इजरायली पीएम ने कहा कि ट्रंप की स्पष्ट और कठोर नीतियों के कारण ईरान का परमाणु कार्यक्रम काफी हद तक सीमित रहा।
परमाणु हथियार की ओर बढ़ रहा है ईरान: खुफिया रिपोर्ट
नेतन्याहू ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों की रिपोर्टों के मुताबिक ईरान अब परमाणु हथियार निर्माण के बेहद करीब पहुंच चुका है। उन्होंने दावा किया कि तेहरान की योजना अगले एक महीने के भीतर परमाणु परीक्षण करने और वर्ष भर के भीतर पूर्ण परमाणु हथियार हासिल करने की थी।
छद्म संगठनों के ज़रिये ट्रंप को बनाया गया निशाना
इजरायली प्रधानमंत्री ने ईरान पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उसने हिजबुल्ला और हमास जैसे संगठनों की मदद से ट्रंप की हत्या के प्रयास किए। उन्होंने कहा कि ये वही ताकतें हैं जो पहले अमेरिकी सैनिकों की मौत, इराक और अफगानिस्तान में हिंसक गतिविधियों, वॉशिंगटन डीसी के होटल में धमाके और अमेरिकी झंडे जलाने जैसी घटनाओं में शामिल रही हैं।
‘मैं भी ईरान के निशाने पर था’
बेंजामिन नेतन्याहू ने यह भी खुलासा किया कि ईरान न केवल डोनाल्ड ट्रंप को बल्कि उन्हें भी मारना चाहता था। उन्होंने कहा, “ऐसे लोगों के हाथों में अगर परमाणु हथियार चले जाएं, तो ये केवल इजरायल या अमेरिका ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए खतरा बन जाएगा। हमारी जिम्मेदारी है कि हम स्वयं को ही नहीं, बल्कि दुनिया को भी इस खतरे से बचाएं।”
ट्रंप को बताया ‘वरिष्ठ साझेदार’
नेतन्याहू ने खुद को ट्रंप का ‘जूनियर पार्टनर’ करार देते हुए कहा कि वैश्विक सुरक्षा और कट्टरपंथ से मुकाबले में ट्रंप के नेतृत्व की भूमिका निर्णायक रही है। उन्होंने कहा कि दुनिया को ईरान जैसे कट्टरपंथी शासन के परमाणु हथियार तक पहुंचने से रोकना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।