भारत के जैवलिन थ्रो सुपरस्टार नीरज चोपड़ा ने आखिरकार वह उपलब्धि हासिल कर ली जिसका लंबे समय से इंतजार था। ओलंपिक चैंपियन नीरज ने 90 मीटर का आंकड़ा पार करते हुए इतिहास रच दिया है। वह ऐसा करने वाले पहले भारतीय जैवलिन थ्रोअर बन गए हैं। नीरज ने इस साल अपने पहले प्रतियोगिता में ही दोहा डायमंड लीग में 90.23 मीटर का शानदार थ्रो कर यह ऐतिहासिक सफलता पाई।
दोहा डायमंड लीग में रचा इतिहास
कतर की राजधानी दोहा में शुक्रवार, 16 मई की रात डायमंड लीग मीट में नीरज ने यह कीर्तिमान स्थापित किया। पिछले साल डायमंड लीग फाइनल में खिताब से चूकने के बाद नीरज का यह पहला बड़ा मुकाबला था। इस बार नीरज चेक गणराज्य के दिग्गज ओलंपिक चैंपियन यान जैलेज्नी की कोचिंग में पहली बार मैदान में उतरे। जैलेज्नी के मार्गदर्शन का असर साफ नजर आया, जब नीरज ने अपने तीसरे प्रयास में 90 मीटर का मुश्किल लक्ष्य पार कर लिया। इससे पहले नीरज का सर्वश्रेष्ठ थ्रो 89.94 मीटर था, जो उन्होंने 2022 में स्टॉकहोम डायमंड लीग में किया था।
कोचिंग में बदलाव का दिखा असर
पिछले सीजन के बाद नीरज ने कोचिंग में बदलाव किया था। इससे पहले वह जर्मन बायोमैकेनिक विशेषज्ञ क्लॉस बार्टोनीट्ज के साथ काम कर रहे थे, जिन्होंने नीरज को ओलंपिक में स्वर्ण और रजत पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। बाद में नीरज ने यान जैलेज्नी के साथ जुड़ने का फैसला किया, जो 98.48 मीटर का वर्ल्ड रिकॉर्ड रखते हैं। तीन बार ओलंपिक और वर्ल्ड चैंपियन रह चुके जैलेज्नी का प्रशिक्षण नीरज के लिए कारगर साबित हुआ और उन्होंने अपने करियर का सबसे लंबा थ्रो कर दिखाया।
दोहा में शानदार प्रदर्शन
नीरज चोपड़ा का यह पहला इवेंट था जब वह भारत-पाकिस्तान विवाद के बीच मैदान में उतरे थे। इसके बावजूद नीरज ने दबाव को दरकिनार कर पहले ही प्रयास में 88.44 मीटर का बेहतरीन थ्रो कर बढ़त बना ली। वहीं, ग्रेनाडा के एंडरसन पीटर्स, जो पिछले साल डायमंड लीग चैंपियन थे, ने 85.64 मीटर का थ्रो कर दूसरा स्थान पाया।
किशोर जेना का प्रदर्शन
नीरज के साथ भारत के दूसरे जैवलिन थ्रोअर किशोर जेना की शुरुआत उम्मीद के मुताबिक नहीं रही। उन्होंने पहले प्रयास में 68.07 मीटर का थ्रो किया और दूसरे प्रयास में 78.60 मीटर तक पहुंचे।
सीजन की जोरदार शुरुआत
इस कामयाबी के साथ नीरज चोपड़ा ने सीजन की धमाकेदार शुरुआत की है। लंबे समय से 90 मीटर के आंकड़े को छूने की कोशिश में लगे नीरज ने आखिरकार अपना सपना साकार कर लिया। इस सफलता ने न केवल नीरज के आत्मविश्वास को बढ़ाया है बल्कि भारत के खेल इतिहास में एक और गौरवपूर्ण अध्याय जोड़ा है।