दिल्ली-एनसीआर में झमाझम बारिश से राहत, पहाड़ों पर भी भारी बारिश का अलर्ट

दिल्ली-एनसीआर में 7 जुलाई की सुबह अचानक मौसम ने करवट ली और आसमान में घने बादल छा गए। तड़के करीब पांच बजे हल्की फुहारों के साथ बारिश की शुरुआत हुई, जो थोड़ी ही देर में तेज वर्षा में बदल गई। मौसम विभाग पहले ही इस दिन के लिए येलो अलर्ट जारी कर चुका था। दक्षिण और पूर्वी दिल्ली सहित नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद में मध्यम से तेज बारिश दर्ज की गई।

भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, राजधानी क्षेत्र में मानसूनी सक्रियता बनी हुई है और आगामी कुछ दिनों तक रुक-रुककर वर्षा की संभावना है। बारिश से न केवल तापमान में गिरावट आएगी, बल्कि वायु गुणवत्ता में भी सुधार हो सकता है, जो हाल ही में ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज की जा रही थी। मौसम विभाग ने 12 जुलाई तक दिल्ली-NCR में गरज-चमक के साथ वर्षा के आसार जताए हैं।

पूर्वी भारत में भारी बारिश का अलर्ट

ओडिशा और छत्तीसगढ़ में 7 व 8 जुलाई को अत्यधिक वर्षा (21 सेमी या उससे अधिक) की चेतावनी दी गई है। मध्य प्रदेश के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में 7 से 10 जुलाई तक तेज बारिश और गरज-चमक की संभावना है। वहीं, पश्चिम बंगाल और झारखंड में भी 7 जुलाई को भारी वर्षा के आसार हैं। इन क्षेत्रों में आकाशीय बिजली गिरने और 30-40 किमी/घंटा की रफ्तार से तेज हवाएं चल सकती हैं।

उत्तर भारत में बारिश के साथ भूस्खलन की चेतावनी

उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में 7 और 8 जुलाई को भारी बारिश की संभावना है। पूर्वी राजस्थान में 9 जुलाई को तेज वर्षा हो सकती है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और उत्तर प्रदेश के विभिन्न इलाकों में 7 से 10 जुलाई के बीच गरज-चमक के साथ भारी बारिश के संकेत हैं। मध्य महाराष्ट्र और गोवा में भी 7 व 8 जुलाई को अच्छी वर्षा हो सकती है, साथ ही अगले छह दिनों तक गरज के साथ तेज हवाएं चलने की चेतावनी जारी की गई है।

पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत में भी सक्रिय मानसून

पूर्वोत्तर राज्यों – असम, मेघालय, नागालैंड, मिजोरम और त्रिपुरा में 7 से 12 जुलाई के बीच भारी वर्षा के आसार हैं। दक्षिण भारत में तेलंगाना, कर्नाटक और केरल के कई क्षेत्रों में 7 से 10 जुलाई तक वर्षा की संभावना है। इन क्षेत्रों में 40-50 किमी/घंटा की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं।

मौसम विभाग ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है, विशेषकर आकाशीय बिजली, जलभराव और तेज हवाओं की स्थितियों से। पर्वतीय इलाकों में भूस्खलन और सड़क अवरोध की आशंका के मद्देनज़र यात्रा से पहले मौसम की स्थिति की जानकारी लेना आवश्यक बताया गया है।

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