कहां तक पहुंचा कावेरी इंजन प्रोजेक्ट, एयरो इंडिया में दिखी झलक

भारत एयरक्राफ्ट निर्माण कार्य कर रहा है लेकिन किसी भी लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर या UCAV को बनाने के लिए एक बेहतरीन इंजन की आवश्यकता होती है. उसके लिए भारत को भी दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता है ऐसे में भारत भी खुद का स्वदेशी फाइटर जेट “इंजन” बनाने की दिशा में अग्रसर हो रहा है. हम बात कर रहे हैं कावेरी इंजन की.

कावेरी इंजन प्रोजेक्ट, भारत के स्वदेशी लड़ाकू जेट इंजन बनाने का एक प्रयास है. इस इंजन को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के अंतर्गत गैस टर्बाइन अनुसंधान प्रतिष्ठान (GTRE) ने विकसित किया है. भारत की योजना इस इंजन का इस्तेमाल भविष्य के मानव रहित हवाई वाहनों (UAV) में करने की है, हालांकि, भारत का स्वदेशी सैन्य जेट इंजन बनाने का मिशन खत्म नहीं हुआ है. कावेरी इंजन से मिले अनुभव से सीखे गए सबक अब नई संभावनाओं का रास्ता साफ करेंगे. कावेरी प्रोजेक्ट के एडवांस स्टेस में स्वदेशी एयरक्राफ्ट के लिए भी इंजन बनाने की कोशिश की जा रही है.

सिर्फ 5 देश ही एडवांस इंजन बना सकते हैं

कावेरी इंजन को इनफ्लाइट परीक्षण के लिए पिछले साल दिसबंर में मंजूरी दे दी गई थी. दुनिया के केवल पांच देश ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका, रूस और चीन आदि इस तरह के एडवांस इंजन बना सकते हैं. ये वे देश हैं, जिनके पास संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के वीटो पावर का भी अधिकार है. भारत भी इस एलीट क्लब में शामिल होने की कोशिश कर रहा है. भारत की योजना इस इंजन का इस्तेमाल भविष्य के मानव रहित हवाई वाहनों (UAV) में करने की है, हालांकि, भारत का स्वदेशी सैन्य जेट इंजन बनाने का मिशन खत्म नहीं हुआ है. कावेरी इंजन से मिले अनुभव से सीखे गए सबक अब नई संभावनाओं का रास्ता साफ करेंगे.

तेजस को शक्ति देने के लिए बनाया जा रहा कावेरी इंजन

कावेरी इंजन को हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस को शक्ति देने के लिए बनाया जा रहा है. यह भारत के स्वदेशी एयरो-इंजन विकास कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण कदम है. कावेरी इंजन परियोजना की शुरुआत 1980 के दशक में हुई थी, लेकिन इसमें कई कठिनाइयां और असफलताएं आईं. हालांकि, DRDO ने 2016 में इसे पुनर्जीवित किया और भारत के खुद के जेट इंजन बनाने के सपनों को नई उड़ान देने की कोशिश की.

इनफ्लाइट परीक्षणों की सफलता भारत को आत्मनिर्भर रक्षा तकनीक की दिशा में एक बड़ा कदम आगे बढ़ाएगी. कावेरी इंजन का सफल परीक्षण भारत की विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता को कम करेगा.

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