‘गति शक्ति’ योजना से कैसे होगी किसानों की आमदनी डबल, जानिए सबकुछ

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister of India) ने देश में इंफ्रास्ट्राक्चर को बढ़ावा देने के लिए मास्टर प्लान पीएम गति शक्ति लॉन्च किया है. इसके तहत 16 मंत्रालयों और विभागों ने उन सभी परियोजनाओं को Geographic information system (GIS) मोड में डाल दिया है, जिन्हें 2024-25 तक पूरा किया जाना है. पीएम मोदी ने बताया कि मेगा फूड पार्क और कृषि प्रसंस्करण केंद्रों के जरिए किसानों की आय दोगुनी करने में पीएम गति शक्ति मदद करेगी. आपको बता दें कि गति शक्ति का मतलब ही है गति की चाल. यह पीएम की महत्वाकांक्षी योजना है.

अब क्या होगा

सिर्फ एक जगह ही, जी हां, एख डिजिटल‍ प्लेटफॉर्म पर ही सभी प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलेगी. शुरुआत में इसके द्वारा केंद्र सरकार की परियोजनाओं में नए बदलाव की शुरुआत होगी, बाद में यह चलन नगर निगम के स्तर तक ले जाया जाएगा.

इसमें विभिन्न इकोनॉमिक जोन में मल्टीमोडल कनेक्ट‍िविटी इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए एक सेंट्रल नेशनल मास्टर प्लान होगा. इसमें नेशनल हाईवे, रेलवे के फ्रेट कॉरिडोर, गैस पाइपलाइन, एयरपोर्ट, एविएशन, दवाओं, इलेक्ट्रॉनिक आइटम, फूड प्रोसेसिंग की मैन्युफैक्चरिंग, डिफेंस प्रोडक्शन, इंडस्ट्रियल कॉरिडोर आदि शामिल होंगे.

अगर आसान शब्दों में कहें तो गतिशक्ति योजना ‘सरकारी वर्क कल्चर’ में आमूल बदलाव का एक प्रयास है जिसमें अभी तक होता यह था कि दाहिने हाथ को भी नहीं पता होता था कि बायां हाथ क्या कर रहा है.

आपको बता दें कि साल 2014 में सत्ता में आने के बाद ही पीएम मोदी ने एक ही तरह के काम करने वाले कई मंत्रालय एक मंत्री को सौंपकर ‘सुपर मिनिस्टर्स’ की अवधारणा पेश की थी ताकि बेहतर सिनर्जी तैयार हो सके.

लेकिन ब्यूरोक्रेसी का सिस्टम इस तरह का है कि उसमें अलग-अलग खांचों में काम होता है. इससे निपटने के लिए गति शक्ति योजना का प्रस्ताव रखा गया ताकि साल 2024-25 तक सभी बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर और कनेक्ट‍िविटी के लक्ष्यों को पूरा किया जा सके.

किसानों की आमदनी कैसे होगी डबल

मेगा फूड पार्क यानी एक ऐसा बड़ा प्लॉट, एक ऐसी मशीनरी… जहां कृषि उत्पादित फसल (एग्री प्रॉडक्ट्स), फल-सब्जियों के सुरक्षित भंडारण की व्यवस्था हो, जहां उन प्रॉडक्ट्स की प्रोसेसिंग की जा सके, उनसे मार्केट की डिमांड के मुताबिक प्रॉडक्ट्स तैयार किए जा सकें.

मेगा फूड पार्क स्कीम “क्लस्टर” दृष्टिकोण पर आधारित है. मेगा फूड पार्क में संग्रहण केंद्रों, प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्रों (Primary Processing Center), केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्रों (Central Processing Center), कोल्ड स्टोरेज और उद्यमियों द्वारा खाद्य प्रसंस्करण यूनिटों (Food Processing Units) की स्थापना होती है

किसान जो फसल उत्पादन करते हैं, उनके पास भंडारण की व्यवस्था नहीं होती. फल-सब्जियों के कुछ ही समय में सड़ने की आशंका रहती है.

ऐसे में मेगा फूड पार्क में एग्री प्रॉडक्ट्स के भंडारण की व्यवस्था रहती है. इसके अलावा इन प्रॉडक्ट्स की प्रोसेसिंग कर उनकी कीमत बढ़ाई जाती है यानी उन कच्चे माल को ज्यादा कीमत वाले प्रॉडक्ट्स में बदला जाता है.

एक उदाहरण से ऐसे समझिए कि इलाके में टमाटर की खूब उपज होती है, तो किसानों से खरीद कर उसका टोमैटो सॉस तैयार कर बाजार में उपलब्ध कराया जाए. इसी तरह जहां मक्के की बंपर उपज हो, वहां मक्के से कई तरह के प्रॉडक्ट्स तैयार कर बाजार में बेचा जाए. इससे किसानों को भी प्रत्यक्ष तौर पर लाभ मिलता है. उन्हें उनके उत्पादन की अच्छी कीमत मिलती है.

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