शोषित, पीड़ित, मजलूमों के सच्चे साथी को विनम्र श्रद्धांजलि

मुजफ्फरनगर के चरथावल क्षेत्र से भाजपा विधायक एवं योगी मंत्रिमंडल में राजस्व तथा बाढ़ नियंत्रण राज्य मंत्री विजय कश्यप का 18 मई, 2021 की रात्रि गुरुग्राम मेदांता अस्पताल में कोरोना से निधन हो गया। इस मनहूस खबर से मुजफ्फरनगर और सहारनपुर जनपद में शोक की लहर दौड़ गई। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब, पिछड़े, शोषित-पीड़ित तबके के बीच दुःख की गहरी अनुभूति छाई है। उनके आकस्मिक निधन से गरीबों का एक सच्चा साथी बिछड़ गया है।

विजय कश्यप ने सहारनपुर जिले के ननौता कस्बे से आकर मुजफ्फरनगर के चरथावल कस्बे को अपना कर्म क्षेत्र बनाया। राष्ट्रवादी विचारों से ओतप्रोत युवा विजय कश्यप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा को अंगीकार कर राजनीति में आगे बढ़े। चरथावल में जनसंपर्क और जनसेवा में निष्ठा से तत्पर रहे। सन् 2007 तथा 2012 के विधानसभा चुनावों में पराजित होने के पश्चात भी वे कर्तव्यपथ से विचलित नहीं हुए फलत: 2017 के चुनाव में विजय कश्यप भारी जनसमर्थन से विजयी रहे। पद व सत्ता का दम्भ उन्हें छूतक नही गया था। वे मित भाषी और मृदु भाषी जनप्रतिनिधि थे। वे वाचाल या लफ्फाज़ नहीं थे किन्तु गरीबों की बात सच्चाई और दृढ़ता से कहते थे। हमें याद है कि जब योगी सरकार ने ‘एक जिला, एक उत्पाद’ योजना आरंभ की और मुजफ्फरनगर में पहला गुड़ महोत्सव मनाया गया तब विजय कश्यप ने बेबाकी के साथ कहा था- ‘यह महोत्सव अधूरा है क्यूंकि इसमें गुड़-शक्कर बनाने वाले कारीगरों को आमंत्रित नहीं किया गया। आम नेताओं की भांति धन-दौलत व शोहरत हासिल करने का मार्ग विजय कश्यप ने नहीं अपनाया। वे परसेवा के सिद्धांत का पालन करते-करते अचानक अलविदा कह गये। विजय कश्यप जी के वयोवृद्ध पिताश्री प्रकाशचंद्र जी, पत्नि सपना, बेटों- कार्तिक व उत्कर्ष तथा सभी परिजनों के दारुण दुःख में शरीक होते हुए इन शब्दों में अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते है:

हमने देखा ही न था अपना दामन तार-तार
दूसरों के चाक दामन ही रफ़ू करते रहे।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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