किसान नेता राकेश टिकैत शनिवार को अमृतसर पहुंचे और श्री हरमंदिर साहिब में माथा टेका। इस दौरान उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने किसान आंदोलन के दबाव में आकर तीन कृषि कानून तो वापस ले लिए, लेकिन किसानों के अन्य मुद्दों पर कोई बात नहीं की। अभी उनके संगठन का आंदोलन खत्म करने का कोई विचार नहीं। केंद्र सरकार को किसान आंदोलन के दौरान शहीद किसानों को मुआवजा देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अभी एमएसपी, शहीद किसानों, आंदोलन करने वाले किसानों पर एफआईआर रद्द करने, लखीमपुर खीरी मामले में मंत्री को बर्खास्त करने की मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून वापस ले लिए है, इसे देखते हुए 29 नवंबर को सिंघु बॉर्डर पर होने वाली संयुक्त मोर्चे की प्रस्तावित बैठक को टाल दिया गया है। अब मोर्चे की यह बैठक 4 दिसंबर को सिंघु बॉर्डर पर होगी और तब तक तीनों कृषि कानून भी हाउस में आ जाएंगे।
किसान नेता टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार शहीद किसानों के परिवारों को मुआवजा दे, किसान शहीदी स्मारक बनाने के लिए जगह दे और एमएसपी पर कानून बना कर दे, तो वे लोग अपने घरों को लौटने पर विचार कर सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने किसानों से कहा कि वे सिंघु बॉर्डर पर किसानों के पहुंचने का दिसंबर माह का प्लान तैयार करें और किसान आंदोलन को और मजबूत करें। फैंसिंग पार खेतों के मुआवजे पर उन्होंने कहा कि इसके लिए किसानों ने गृह मंत्री से मिलना था, लेकिन इसी बीच ही किसान आंदोलन शुरू हो गया।
टिकैत ने कहा कि इसे लेकर उन्होंने सरकार को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने एमएसपी पर कमेटी बनाए जाने के सवाल के जवाब में कहा कि इसके लिए तो 2011 में ही कमेटी बन गई थी। उस कमेटी में अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ ही गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी भी सदस्य थे, जिन्होंने एमएसपी पर कानून बनाने की बात कही थी, तो अब यही फाइल प्रधानमंत्री के आफिस में है, तो उस पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही। चुनावों में भागीदारी या किसी राजानीतिक पार्टी को समर्थन किए जाने के सवाल पर कहा कि जिस दिन आचार संहिता लग जाएगी तो इसका भी पता चल जाएगा।