महात्मा विदुर की याद में !

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के उद्देश्य से राज्य में 35 नये मेडिकल कॉलेज स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसके अनुसार दस की स्थापना हो चुकी है और शेष के लिए कार्ययोजना पर अमल जारी है। इस लक्ष्य के अनुसार मुख्यमंत्री ने 21 सितंबर को बिजनौर जनपद के ग्राम मधुसूदनपुर देवीदास में राजकीय मेडिकल कॉलेज की स्थापना हेतु भूमि पूजन व शिलान्यास किया। बड़ी संख्या में आयुर्विज्ञान संस्थानों की स्थापना योगी सरकार का लक्ष्य है, इसे मूर्त रूप देने के लिए प्रयत्नशील हैं, अतः सराहना के पात्र तो हैं ही किन्तु उन्होंने मेडिकल कॉलेज का नाम भारतीय अस्मिता के महान् पुरोधा, नीतिज्ञ, मेधा एवं विवेक के शीर्ष पुरुष, मन-वचन-कर्म से निर्विकार मनीषी महात्मा विदुर के नाम पर रखने की घोषणा कर अति प्रशंसनीय काम किया है।

योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री के रूप में जो लौकिक कार्य कर रहे हैं, वे सभी के सामने हैं। इनकी निंदा-प्रशंसा, आलोचना-समालोचना करना हमारा अभीष्ट नहीं। यह कार्य तो लोकतंत्र में जनमानस करता है। उचित समय पर जनता सही-गलत का निर्णय कर देगी। महात्मा विदुर के नाम को दीर्घकाल तक याद दिलाते रहने के उद्देश्य से यह श्रेष्ठ निर्णय है। महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण, युधिष्ठिर, धृतराष्ट्र, दुर्योधन कर्ण, अर्जुन, भीष्म पितामह आदि अनेक केंद्रीय चरित्र हैं। महात्मा विदुर इन सभी से अलग-थलग चरित्र के अनोखे पात्र थे। यह विदुर का जिगरा था कि एक अकेले विदुर ने अदम्य साहस के साथ द्रौपदी के चीरहरण की दुष्टता का विरोध किया। कुरुक्षेत्र के मैदान में जब भगवान कृष्ण ने कौरवों-पांडवों व 18 अक्षौहिणी सेना को महा समर को तत्पर कर दिया तब अकेले विदुर ने ही कहा कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है। परम् योद्धा होते हुए भी विदुर ही एकमात्र महारथी थे जो युद्ध में शामिल नहीं हुए।

संसार में अनेक नीतिवान, कूटनीतिज्ञ, ज्ञानवान, अद्भुत विद्वान हुए हैं। हमारे यहां चाणक्य भी हुए किंतु नीतियों को सात्विकता प्रदान करने वाला तो अब तक सृष्टि में अकेला विदुर ही हुआ है। विदुरनीति का तोड़ आज तक कोई विद्वान नहीं प्रस्तुत कर सका। विदुर की विवेकशीलता, प्रभु के प्रति समर्पण भाव का लोहा तो योगीराज कृष्ण भी मान चुके थे- ‘दुर्योधन की मेवा त्यागी, साग विदुर घर खायो।’

योगी आदित्यनाथ ने विदुर कुटी में प्राच्य विद्या अध्ययन केंद्र के निर्माण का शुभ निर्णय भी लिया। आपने सहारनपुर मेडिकल कॉलेज का नाम मां शाकुम्भरी के नाम पर कराया, यद्यपि इमरान मसूद जैसे लोग इस पर तिलमिलाये। महाभारत, रामायण सर्किट को आरंभ कराया, चित्रकूट के पुनरुद्धार एवं सौंदर्यीकरण की योजना बनाई, नैमिषारण्य तीर्थ, ब्रज क्षेत्र को विकसित कराने की ओर कदम बढ़ाये, अयोध्या में दीप महोत्सव की परंपरा को पुनर्जीवित किया, वाराणसी के घाटों का जीर्णोद्धार कराया। प्रयागराज के कुंभ को सकुशल संपन्न कराया। पुरातन-सनातन संस्कृति, आध्यात्मिक-धार्मिक क्षेत्र में भारतीयता एवं राष्ट्रवाद को बल प्रदान करने को योगी आदित्यनाथ ने अतुलनीय कार्य किये हैं, वे निश्चय ही साधुवाद के पात्र हैं।

गोविंद वर्मा
संपादक देहात

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