कर्नाटक सरकार द्वारा राज्य की आवासीय योजनाओं में अल्पसंख्यक समुदायों के लिए आरक्षण को 10% से बढ़ाकर 15% किए जाने के निर्णय पर सियासी हलचल तेज हो गई है। राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमीर अहमद खान ने स्पष्ट किया है कि यह कोई नया निर्णय नहीं, बल्कि 2019 में कांग्रेस-जेडीएस सरकार द्वारा गठित कैबिनेट उप-समिति की सिफारिश पर आधारित है।
सरकार का पक्ष: केंद्र के मॉडल पर आधारित निर्णय
मंत्री खान ने कहा कि केंद्र सरकार पहले ही सच्चर समिति की रिपोर्ट के आधार पर अल्पसंख्यकों को मकान योजनाओं में 15% आरक्षण देती रही है। कर्नाटक सरकार ने अब उसी मॉडल को राज्य में लागू किया है। उन्होंने बताया कि 2021 में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने भी इसी तरह का सुझाव दिया था। मंत्री के अनुसार, अल्पसंख्यक समुदाय में ऐसे परिवारों की बड़ी संख्या है, जिनके पास स्थायी निवास की सुविधा नहीं है और यह कदम लंबे समय से की जा रही मांग को पूरा करता है।
भाजपा ने बताया संविधान विरोधी, जताई आपत्ति
इस फैसले पर भाजपा ने कड़ी आपत्ति जताई है। पार्टी प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा ने इसे ‘धार्मिक आधार पर आरक्षण’ बताते हुए असंवैधानिक करार दिया और कहा कि यह केवल मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने वोट बैंक को साधने के लिए यह फैसला लिया है। पात्रा ने यह भी दावा किया कि इससे अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्गों के अधिकारों का हनन हो रहा है।
क्या है 15% आरक्षण का दायरा?
राज्य सरकार का कहना है कि यह आरक्षण सिर्फ मुस्लिमों के लिए नहीं, बल्कि सभी अल्पसंख्यक समुदायों — जैसे सिख, ईसाई, जैन आदि — के लिए लागू होगा और केवल सरकारी आवासीय योजनाओं के अंतर्गत ही सीमित रहेगा।
मुस्लिम जनसंख्या और जातिगत सर्वे को लेकर भी सवाल
संबित पात्रा ने राज्य की जनसंख्या रिपोर्ट पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि 2015 में मुस्लिम आबादी 12.6% थी, लेकिन कथित नई रिपोर्ट में इसे 18% से अधिक बताया गया है, जिसे लेकर पारदर्शी जांच की आवश्यकता है। साथ ही उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने 165 करोड़ रुपये खर्च कर जो जातिगत सर्वे कराया था, उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है।
पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने सरकार पर साधा निशाना
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा ने कांग्रेस सरकार पर भ्रष्टाचार और विकास कार्यों की अनदेखी का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि राज्य में न तो सिंचाई परियोजनाएं आगे बढ़ रही हैं, न ही सड़क निर्माण हो पा रहा है। सरकार केवल प्रचार पर ध्यान दे रही है और जनता की समस्याओं की अनदेखी कर रही है।