प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैन आध्यात्मिक गुरु आचार्य विद्यानंद महाराज की जयंती के शताब्दी समारोह में भाग लिया और उपस्थित लोगों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि आचार्य विद्यानंद महाराज के विचारों ने सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को प्रेरित किया है। उन्होंने एक जैन संत के पिछले प्रवचन का भी उल्लेख किया, जिसमें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को आशीर्वाद दिया गया था। प्रधानमंत्री के उस कथन पर कि “जो हमें छेड़ेगा…,” वहां मौजूद लोगों ने ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए, हालांकि पीएम ने इस विषय पर आगे टिप्पणी नहीं की।
कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने अपने नौ संकल्प दोहराए और सभी से उनका पालन करने का आग्रह किया। ये संकल्प हैं: पानी की बचत, मां के नाम पर एक पेड़ लगाना, स्वच्छता, ‘वोकल फॉर लोकल’, देश के विभिन्न हिस्सों की यात्रा, प्राकृतिक खेती अपनाना, स्वस्थ जीवनशैली अपनाना, खेल और योग को बढ़ावा देना, तथा जरूरतमंदों की सहायता करना।
पीएम मोदी ने कहा, “आज हम भारत की अध्यात्मिक परंपरा के एक महत्वपूर्ण आयोजन का हिस्सा हैं। पूज्य आचार्य विद्यानंद जी मुनिराज की जन्मशताब्दी इस पवित्र अवसर को और भी विशेष बनाती है। 28 जून 1987 को उन्हें आचार्य पद की उपाधि मिली थी, जो जैन परंपरा में विचार, संयम और करूणा की एक नई धारा लेकर आई। मैं इस अवसर पर उनका आदरपूर्वक नमन करता हूं और उनके आशीर्वाद की कामना करता हूं।”
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि उन्हें ‘धर्म चक्रवर्ती’ की उपाधि प्रदान की गई है, जिसके लिए वे स्वयं को अभी योग्य नहीं मानते, लेकिन इस संस्कार के तहत संतों से मिले सम्मान को वे विनम्रता से स्वीकार करते हैं।
उन्होंने भारत को विश्व की सबसे प्राचीन जीवंत सभ्यता बताया, जिसकी अमरता उसके विचार, चिंतन और दर्शन में निहित है। आचार्य विद्यानंद मुनिराज को इस परंपरा का आधुनिक प्रकाश स्तंभ करार देते हुए उन्होंने कहा कि उनका दर्शन जीवन को सेवा प्रधान बनाने की प्रेरणा देता है, जो जैन दर्शन की मूल भावना से जुड़ा है।
पीएम मोदी ने जोर देकर कहा कि भारत सेवा और मानवता का देश है, जिसने अहिंसा के माध्यम से विश्व को एक नई राह दिखाई। उन्होंने सभी से एक साथ मिलकर आगे बढ़ने का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री ने प्राकृत भाषा की भी चर्चा की, जिसे भगवान महावीर के उपदेशों की भाषा बताया। उन्होंने बताया कि सरकार ने प्राकृत को ‘शास्त्रीय भाषा’ का दर्जा दिया है और देश की प्राचीन पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण करने का अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने विकास के साथ विरासत को भी संजोने का संकल्प जताया और भारत के सांस्कृतिक व तीर्थ स्थलों के संवर्द्धन पर भी जोर दिया।