अगरतला। गोवा और मिजोरम के बाद त्रिपुरा अब देश का तीसरा ऐसा राज्य बन गया है जिसने पूर्ण साक्षरता का दर्जा प्राप्त किया है। पिछले एक दशक से राज्य की साक्षरता दर 90 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई थी, लेकिन कुछ मानकों में थोड़ी कमी थी, जिसे अब पूरा कर लिया गया है। यह महत्वपूर्ण घोषणा सोमवार को मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा ने की, जिनके पास शिक्षा विभाग का भी जिम्मा है। इस अवसर पर केंद्र सरकार के अधिकारियों की मौजूदगी में त्रिपुरा ने देश में सार्वभौमिक शिक्षा के क्षेत्र में एक नई उपलब्धि हासिल की।
डॉ. साहा ने बताया कि आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार त्रिपुरा की साक्षरता दर 93.7 प्रतिशत थी, जो हाल ही में ‘उल्लास’ अभियान की सफलताओं के कारण बढ़कर 95.6 प्रतिशत हो गई है। केंद्र सरकार के नियमों के अनुसार, साक्षरता दर 95 प्रतिशत से ऊपर वाले राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों को ‘पूर्ण साक्षरता’ का दर्जा दिया जाता है। यह घोषणा रवींद्र शताबर्शिकी भवन में आयोजित कार्यक्रम में की गई, जिसमें राज्य के सभी आठ जिलों से 2,000 नव-साक्षर, स्वयंसेवक, प्रशिक्षक और ब्लॉक अधिकारी शामिल हुए।
राज्य ने ‘उल्लास – नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’ लागू कर गैर-साक्षर लोगों की पहचान कर उन्हें शिक्षा प्रदान की। इस कार्यक्रम के पांच मुख्य पहलू हैं: बुनियादी साक्षरता और गणितीय कौशल, जीवन कौशल, प्राथमिक शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और सतत शिक्षा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप यह पहल 2022 में शुरू की गई थी, जिसका लक्ष्य 2027 तक देश के हर वयस्क को साक्षर बनाना है। त्रिपुरा इस मिशन में विशेष सक्रियता दिखा रहा है।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक एनसी शर्मा ने बताया कि इस मिशन को प्रभावी बनाने के लिए राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर समितियाँ बनाई गईं। शिक्षण सामग्री बंगाली, अंग्रेजी और कोकबोरोक भाषाओं में तैयार की गई और प्रशिक्षित शिक्षक एवं छात्र स्वयंसेवक के रूप में कार्यरत रहे।
माणिक शर्मा ने कहा, “यह अनुभव शानदार रहा। कुछ लोगों ने अपने घरों में कक्षाएं संचालित कीं, तो कुछ ने स्थानीय बाजारों में बुनियादी शिक्षा दी। इस उपलब्धि तक पहुंचना आसान नहीं था।” 1961 में त्रिपुरा की साक्षरता दर केवल 20.24 प्रतिशत थी, जो 2011 की जनगणना तक बढ़कर 87.22 प्रतिशत हो गई थी। अब त्रिपुरा देश का तीसरा सबसे साक्षर राज्य बन गया है।