भारत-पाक तनाव के बीच अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को ने जयशंकर से की बातचीत

भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच अमेरिका ने कूटनीतिक प्रयास तेज कर दिए हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीर मुनीर और भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से अलग-अलग बातचीत की। उन्होंने दोनों देशों से तनाव कम करने का आग्रह किया और बातचीत के जरिए मसले का समाधान निकालने पर जोर दिया।

अमेरिका की अपील: तनाव कम करें

अमेरिकी विदेश मंत्री ने पाकिस्तान से आतंकवादी समूहों को समर्थन देना बंद करने की सलाह दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि सीधी और शांतिपूर्ण बातचीत ही समाधान का रास्ता है। यह बातचीत ऐसे समय में हुई है जब पाकिस्तान की ओर से भारत पर लगातार हमले किए जा रहे हैं।

पहले भी हो चुकी है बातचीत

इससे पहले भी अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से चर्चा कर पाकिस्तान को संयम बरतने की नसीहत दी थी। अमेरिका ने स्पष्ट किया था कि भारत के खिलाफ किसी भी आक्रामक कदम का समर्थन नहीं किया जाएगा। भारत को समर्थन देते हुए अमेरिका ने पाकिस्तान को किसी भी तरह की प्रतिक्रिया से बचने की सलाह दी थी।

भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव जारी

भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले चार दिनों में तनाव काफी बढ़ गया है। पाकिस्तान ने भारत के कई शहरों पर हमले की कोशिश की है। शुक्रवार रात और शनिवार सुबह के दौरान पाकिस्तान ने करीब 26 स्थानों पर ड्रोन हमले का प्रयास किया, लेकिन भारतीय सेना ने सभी हमलों को नाकाम कर दिया।

हमलों में भारतीय प्रतिक्रिया

भारत ने न सिर्फ पाकिस्तान के ड्रोन हमलों को नाकाम किया बल्कि एक पाकिस्तानी फाइटर जेट को भी मार गिराया। इसके अलावा, पाकिस्तान की ओर से दागी गई कई मिसाइलों को भी भारतीय सेना ने विफल कर दिया।

  • हमले के निशाने: जम्मू-कश्मीर, अमृतसर, पठानकोट, सिरसा, बीकानेर, बाड़मेर, पुंछ और उरी जैसी जगहें।
  • सेना का एक्शन: सभी हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया गया, जिससे पाकिस्तान की कोशिशें नाकाम हो गईं।

अमेरिका की भूमिका महत्वपूर्ण

अमेरिका ने तनाव कम करने के लिए दोनों देशों के साथ बातचीत को जरूरी बताया है। मार्को रूबियो का यह कदम कूटनीतिक दृष्टिकोण से अहम माना जा रहा है, क्योंकि पाकिस्तान द्वारा हमलों की निरंतरता के बीच इस तरह की वार्ता से स्थिति को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका की मध्यस्थता से दोनों देशों के बीच वार्ता का रास्ता खुल सकता है, लेकिन इसका असर दोनों देशों की मौजूदा स्थिति पर निर्भर करेगा।

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