विजयवर्गीय की गिरफ्तारी पर रोक बढ़ी, एससी ने मांगी स्टेट्स रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पश्चिम बंगाल सरकार को राज्य में उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों में भाजपा नेताओं कैलाश विजयवर्गीय, अर्जुन सिंह और अन्य के खिलाफ जांच की स्थिति पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि अपील 2020 में दायर की गई थी और राज्य को एक महीने के भीतर एक व्यापक हलफनामा दायर करने और मामले में जांच के चरण के बारे में सूचित करने का निर्देश दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक 23 जुलाई तक बढ़ा दी है. इसके साथ ही बीजेपी नेताओं के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों पर एक महीने के भीतर पश्चिम बंगाल सरकार से स्टेट्स रिपोर्ट मांगी है.

सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामे के जरिए सभी केस की स्टेट्स रिपोर्ट मांगी है. बीजेपी नेताओं ने मामले को पश्चिम बंगाल पुलिस से सीबीआई को सौंपने की मांग की है.

बीजेपी नेताओं ने की थी सीबीआई जांच की मांग

पीठ ने पूछा कि क्या जांच को सीबीआई को सौंप दिया जाए और आपको विश्वास है कि इस मामले की सीबीआई निष्पक्ष रूप से जांच कर पाएगी. याचिकाओं में पश्चिम बंगाल के कई पुलिस थानों में दर्ज एफआईआर में जांच स्थानांतरित करने की मांग की गई थी.

पीठ ने कहा, “याचिकाएं वर्ष 2020 की हैं. इस अदालत ने पहले याचिकाकर्ताओं को केवल दंडात्मक कार्रवाई के लिए संरक्षण दिया था, लेकिन कोई रोक नहीं दी गई थी.” इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया. कैलाश विजयवर्गीय, अर्जुन सिंह, सौरव सिंह, पवन कुमार सिंह ने दावा किया था कि 2021 में विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें राज्य में प्रवेश करने से रोकने के लिए उन्हें फंसाया जा रहा है.

बीजेपी नेतायों ने लगाए थे ये आरोप

टीएमसी नेता मुकुल रॉय, जो उस समय भाजपा में थे, भी इस मामले में याचिकाकर्ता हैं. अर्जुन सिंह ने बताया कि 2019 में उनके खिलाफ सार्वजनिक व्यवस्था तोड़ने और चोट पहुंचाने के छोटे अपराधों से संबंधित 64 आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे.

अर्जुन सिंह के बेटे पवन सिंह ने कहा कि वह मौजूदा विधायक हैं और टीएमसी छोड़ने के बाद उनके खिलाफ नौ मामले दर्ज किए गए. बता दें कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद से भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया था कि उनके खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध के तहत मुकदमा दायर किया जा रहा है.

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