कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में ‘कोऑर्डिनेशन कमेटी फॉर पीस’ (CCP) के सदस्यों से मुलाकात की, जिसके बाद भाजपा ने इस पर कड़ा रुख अपनाया है। भाजपा नेता अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसे समय में जब देश नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक जंग लड़ रहा है, राहुल गांधी का माओवादी समर्थक समूह के प्रतिनिधियों से मिलना चिंताजनक है।
अमित मालवीय का आरोप
अमित मालवीय ने कहा कि सुरक्षाबल ‘ऑपरेशन कगार’ के तहत माओवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रहे हैं। इस अभियान में सीपीआई (माओवादी) कैडर को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में कथित शांति समन्वय समिति (CCP) कांग्रेस के समर्थन से सुरक्षाबलों और माओवादी उग्रवादियों के बीच संघर्ष विराम कराने की कोशिश कर रही है।
मालवीय ने दावा किया कि 9 मई को CCP प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात की और आरोप लगाया कि सरकार माओवादी विरोधी अभियानों के माध्यम से आदिवासी समुदाय को निशाना बना रही है। प्रतिनिधिमंडल ने राहुल से संघर्ष विराम में हस्तक्षेप की मांग की है।
CCP प्रतिनिधिमंडल में कौन-कौन थे शामिल?
मालवीय ने बताया कि CCP प्रतिनिधिमंडल में कविता श्रीवास्तव, रिटायर्ड प्रोफेसर जी हरगोपाल, रिटायर्ड जस्टिस चंद्र कुमार, भारत बचाओ के उपाध्यक्ष डॉ. एमएफ गोपीनाथ, झारखंड जन अधिकार महासभा के दिनेश मुर्मू और लेखिका मीना कांदासामी शामिल थे। उन्होंने दावा किया कि इस समिति का गठन हाल ही में दिल्ली में हुआ और इसका उद्देश्य सरकार और सीपीआई नेतृत्व के बीच शांति वार्ता कराना है।
भाजपा का सवाल
अमित मालवीय ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए पूछा कि जब हमारे सुरक्षाबल अपनी जान जोखिम में डालकर उग्रवाद को खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं, तो राहुल गांधी का माओवादी समर्थकों से मिलना किसका समर्थन दर्शाता है? उन्होंने पूछा कि क्या राहुल गांधी देश के रक्षकों के साथ हैं या प्रतिबंधित उग्रवादी संगठनों के साथ?
क्या है ऑपरेशन कगार?
गृह मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया ‘ऑपरेशन कगार’ नक्सलवाद को खत्म करने और माओवादी विचारधारा को समाप्त करने के उद्देश्य से चलाया जा रहा है। इस अभियान के दौरान कई माओवादी मुठभेड़ों में मारे गए हैं और जो आत्मसमर्पण नहीं कर रहे, उन्हें भी कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है।